" " सद्गुगु का दिया वचन मुझे आज भी याद है- " आपको इसे ग्रहण करने का भाव और धैर्य होना चाहियेेे " " " " इसके लिये आपको अपने भीत अपने गु गु गु की शक्ति का बोध होना चाहिये। इसके फलस्वरूप आप किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे। "
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" मेरे शिष्य पर कोई संकट हो तो वह मेरे से होकर गुजर मेरे बच्चों को कोई कष्ट न हो। मैं अपने प्रत्येक शिष्य के चित्त में विराजमान ऺ
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पग-पग पर संसार में फैली व्यापक निष्क्रियता, सांसारिक विषमतायें, पाप, कुकर्म देख व्यक्ति विचलित हो जाता है उसे घुटन का एहसास होता है। " " हमाी भाषा, धध्म, संस्कृति अलग सकती है प मन मन सदैव गु गु गु का ही वास खें।। अपने चित में गुरू हो तो आप स्वयं सिद्ध पुरूष बा "
मानव जीवन के विकास के लिये व इसे सम्पूर्ण बनाने के लिए चार पुरूषार्थ -धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पुरूषार्थों के सिद्धि के लिये- चार प्रकार का योग (राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग) तथा विभिन्न योग साधनों की सिद्धि के लिये, चार आश्रमों (ब्रहमचर्य-आश्रम, गृहस्थ-आश्रम, वानप्रस्थ-आश्रम, संन्यास-आश्रम) की संरचना निश्चित ही भारतीय संस्कृति को एक विशेष स्थान प्रदान कराती है। " " यद्यपि कर्म का पालन कर ही ि " "
" " " " ये साधनाएं सस पiment यह सब ज्ञान का भण्डा größer आप स्वयं इसका प्योग क इन इन साधना की सफलता को पूपू्णता से अनुभव क सकते है है।।।।।। को पू पूपू्णता से क है।।।। को को पू पू पू पू इन स क है।।।।।।।।।।। पू पू पू पू पू पू स सकते है।।।।।। पू पू पू पू पू पू पू पू।।।।।। को पूgleich पू पू mag पू को पू पू पू पूchte पू पू पू पू पू पूchte पू पू पू पू पू पू पूchte पू पू को mag पू पू पू पू पू पू पू पूchte पू से क सकते है। “ "
" इस क्रिया में कहाँ कमी रही है। इसका विवेचन करें। " इस नववर्ष पर आप संकल्प करे की अपने जीवन की सभी न्यूनताओं और मलिनता को पूर्णता के साथ समाप्त करेंगे, क्योंकि आपके पास कर्म की शक्ति है, ज्ञान की शक्ति है और इसके फलस्वरूप जीवन के महत्त्व को समझकर अपने भीतर के दोष, मैली मानसिकता का त्याग "
इस नववर्ष में घर में कोई भी शुभ कार्य हो तो सर्व प्रथम सद्गुरू का स्मरण कर आशीर्वाद प्राप्त करे और शुभ कार्य को अक्षुण्ण बनाने के लिये अपने सम्बन्धियों, रिश्तेदारों, बहन-बेटियों, भाई-बन्धु को 'प्राचीन मंत्र-यंत्र विज्ञान' पत्रिका से जुड़ाव स्थापित करायें। ऐसे सद् कार्य से आपका यह क कार्य निश्चित ूप से पूपू्ण आनन्दयुक्त औायी हो सकेगा। " क्योंकि जैसे भाव विचार होते हैं वैसी ही क्रिया रूप में कार्य होते हैं और जैसा कार्य हम करते हैं उसका वैसा ही फल मिलता है इसलिये अपने आपको श्रेष्ठमय ज्ञानवान हर दृष्टि से जीवन को उन्नतिशील बनाने के लिए सांसारिक क्रियाओं के साथ मन विचार और भावों के रूप में विद्यमान सद्गुगु के ज्ञान के प्सार लिए क क्ियाशील हेगे तो सद्गुगु भी निनिन्त निनिन्त आपके श्ेष्ठ कार में पू नि नि सहयोगी बन सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें सकेगें।।।।।। शschieden नववर्ष पर आप सभी से मिलकर मुझे खुशी होगी। Frohes Neues Jahr 2022 मेमे सभी मानस पुत्र पुत्ियों को नववनवव्ष 2022 की हार्दिक मंगलमय शुभकामनाएं।
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