" " तुमsprechung " जिसका अतीत तुम्हाे जैसा ही था, लेकिना वव्तमान भिन्न हो गया है। "
" " इसीलिये गुरू तुम्हें धीरे-धीरे तैयार करता है।
एक छोटे पौधे को तो सुरक्षा की जरूरत होती है। बड़े हो जाने पर किसी बाड़ की कोई जरूरत नहीं रहतीी वह तुम्हारे छोटे से पौधे को सम्भालता है। छोटे से पौधे पर तो मेघ भी बरस जाये तो मौत हो सकती ै मेघ से भी बचाता है। " " "
इसीलिये गुरू की यही चेष्टा रहती है, कि वह परमात्मा को तुम्हारे योग्य और तुम्हे परमात्मा के योग्य बना दे, गुरू परमात्मा को थोड़ा रोकता है, थोड़ा ठहरने को कहता है, गुरू परमात्मा से कहता है इतनी जोर से मत बरस जाना कि यह आदमी मिट जाये। " अगर एक बूंद गिरी है, तो पूरा मेघ भी गिरेगा, घबराओ ओ ओ तुम्हे तैयार करता है, ज्यादा लेने को, परमात्मा को तैयार करता है, कम देने को और जब तुम्हारे दोनों के बीच एक संतुलन बन जाता है तो गुरू का कार्य पूर्ण हो जाता है और यदि तुम गुरू के साथ सम्बन्ध ना जोड़ पाओ, तो तुम्हारी " " पर गुरू की कृपा भी अर्जित करनी होगी। वह भी मुफ्रत नहीं मिल सकती। " " "
कहा जाता है- गुरू तो स्वयं करूणा स्वरूप हैं। " जब. । " " कुछ जो सधे हुये सीधे घड़े की त त हैं हैं तो फूटे है न उलटे हैं न चंचल हैं।।। "
" " " इससे गुरू पर कोई फर्क पड़ता नहीं और ना ही पड़ेथ " " "
एक बार तो तुम आओ! " " इसमें कोई संदेह नहीं है। पप तुम हो संदेह लेक लेक लेक लेक संदेह खत खत खत खत खत खत कि पत नहीं नहीं! जिसके साथ जा रहें हैं, वह कहीं ले जायेगा कि भटकथगा दि? " बड़ी असंभव सी क्िया है बन्धु यह, इसीलिये अधिकत लोग फेल हो जाते हैं।।
सारा जीवन संदेह का शिक्षण है। जीवन भर हम संदेह सीखते हैं। " विश्वास तो तब करना, जब संदेह की कोई जगह न रह जायेेे क्योंकि तभी तुम्हारा और मेरा प्रयास सफल हो सकतै सफल हो सकतै संदेह में रहोगे तो कुछ भी पाना मुश्किल हो जायेगाािल
श्रद्धा केवल वे ही लोग कर पाते हैं, जो साहसी होते " तुम इसी क्षण सोचो कि तुमने क्या-क्या किया मपने वन थ थ थ " "
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