यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है, कि संसार के प्रत्येक देश में भगवती लक्ष्मी की साधना, आराधना और उपासना होती है, वह चाहे अलग नाम से हो, अलग रूप में हो, अलग क्रिया-पद्धति से हो, परन्तु लक्ष्मी की मान्यता तो सम्पूर्ण विश्व में है ही, क्योंकि बिना लक्ष्मी के तो जीवन का आधाभूत सत्य ही समाप्त हो जायेगा।
Das Leben hat zwei Seiten – spirituell und materiell
" इसके मूल में लक्ष्मी ही तो है।
" यह अलग बात है, कि आज विश्व में अधिकांश व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से घिरे हैं, जिनके पास भौतिक जीवन में उपयोग आने वाली वस्तुओं का अभाव ही रहता है, पर इसका कारण क्या है, मनुष्य को अपनी अज्ञानता त्याग कर इसके मूल में जाना ही पड़ेगा ।
यह बात तो निsal " धन की पure iel
" उनके जीवन में सब कुछ हुये भी कुछ. "
कुछ व्यक्ति जो जीवन धन सम सम्पदा से युक्त होते औ औ वे ये समझ बैठें कि लक्ष्मी तो प प प आनी है है वे भूल क क हे है है।।।।।। प प।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। प प प प प ही बैठें लक लक लक है। यह लक्ष्मी तो निश्चय ही द द्वार पूaz पू्व जन में गये गये साधना औ सुकृत सुकृत कार्यों से प प्रापप हुई है।।।।।।।।। का kurz साधना वह क्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य देवताओं को भी विवश कर सकता है कि वे सम्पूर्णता से उसके साथ रहे, उसकी सहायता करे, उसके जीवन में जो न्यूनता है वह पूर्ण हो इसीलिये श्रीमद्भागवदगीता में लिखा है, कि-
देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वं
Wenn ihr füreinander empfindet, werdet ihr das höchste Wohl erreichen.
हे मनुष्य! तुम साधना यज्ञ, पूजन, ध्यान द्वारा देवताओं को उ न्नत करो और वे देवता तुम लो को उन्नत करे, इस प् रकार से निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे को उन्नत करत े हुये तुम पूर्णत्व प्राप्त कर सकोगे।
" जो व्यक्ति इस कटु सत्य को समझ लेता है, जो इस बात को समझ लेता है, कि जीवन का आधारभूत सत्य भौतिक सम्पदा के माध्यम से ही जीवन में पूर्णता और निश्चिन्तता आ सकती है, वह लक्ष्मी की आराधना, लक्ष्मी की अर्चना और लक्ष्मी की कृपा का अभिलाषी जरूर होता है।
कुंकुम, अक्षत से पूजा आआ उताना ये तो पूजा के प्कार हैं।। " "
इसमें कोई दो राय नही है, कि जीवन में महाकाली और सरस्वती की साधना भी जरूरी है, क्योंकि भगवती काली की साधना से जहाँ जीवन निष्कंटक और शत्रु रहित बनता है, वहीं महा सरस्वती साधना के माध्यम से उसे बोलने की शक्ति प्राप्त होती है, उसका " मगर यह सब तब हो सकता है, जब धन का आधार हो-
"
स एव वक्ता स च दर्शनीयः, सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रन्चनमाश्रर
" का प्रयत्न करते है।
"
भृazतह ऋषि कह हे हे हैं-
"
हमारे जीवन में अन्न की नितांत आवश्यकता है, जल की नितांत आवश्यकता है, प्राणवायु लेने की नितांत आवश्यकता है, किन्तु केवल इन तीनों से मनुष्य जीवन सुमधुर नहीं बन सकता है, जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिये लक्ष्मी की साधना भी नितांत आवश्यक है। जो इस सत्य को नहीं समझ सकते वे जीवन में कुछ भी नहीं सकते सकते।। जो व्यक्ति जितना जल्दी इस तथ्य को समझ लेता है, वह इस बात को समझ लेता है कि जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिये लक्ष्मी की आराधना, लक्ष्मी का सहयोग आवश्यक है और ऐसा ही व्यक्ति जीवन में सही अर्थों में पूर्णता की ओर अग्रसर हो सकता है। " "
चाहे हम रूद्र की साधना करे और चाहे हम ब्रह्मा की साधना करें, चाहे हम इन्द्र, मरूद्गण, यम और कुबेर की साधना करे, किन्तु वैभव और धन की अधिष्ठात्री देवी तो भगवती लक्ष्मी ही है, मात्र लक्ष्मी की साधना के माध्यम से ही व्यक्ति अपने " है, मंदिर, धर्मशाला, तालाब, अस्पताल का निर्माण कर सकता है और समाज सेवा के माध्यम से हजारों-लाखों लोगों का कल्याण कर सकता है। भगवती लक्ष्मी की साधना से जहां व्यक्ति स्वयं अपने जीवन को श्रेष्ठ बना कर पूर्णता प्राप्त कर सकता है, वहीं समाज के बहुत बड़े वर्ग को सुख और सौभाग्य, आनन्द और मधुरता प्रदान करने का माध्यम बन सकता है
साधना प्रा weil
महालक्ष्मी की साधना, मंत्र अथव अथवा अनुष्ठान को 24-10-2022 अथवा किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के किसी बुधवार से प्रा क क तो जsalयाद उचित उचितsal ा है क जsalयाद उचित उचित उचित्रा है क ज जspreches याद उचिताद उचित उचित उचित हतspreches उचित है ज rieben
साधना प्रा weil
"
किसी भी प्रकार की भगवती महालक्ष्मी से सम्बन्धित साधना सम्पन्न करने के लिये ऐश्वर्य महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करने और उसके सामने साधना, उपासना या अनुष्ठान सम्पन्न करने से निश्चय ही सफलता प्राप्त होती है, क्योंकि यह यंत्र अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है, इसमें सहस्त्र लक्ष्मियों की सsprechung यहां दिये तीन प्योगों की सामग्ीयां इसी पद्धति से निनि्मित हैं।।।।। पद पद्धति
"
"
Sadhana Vidhaan
" " मध्य ढेरी पर अर्थात किसी भी तरफ से गिनने पर पांचवी ढेरी पर एक पात्र रख उसमें ऐश्वर्य महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करे और बाजोट के दूसरी ओर नौ चावलों की ढे़रियाँ जमीन पर बनायें और उन पर तेल के नौ दीपक लगाये, दीपक की लौ साधक की ओर होनी चाहिये।
Heiligung
ॐ अपवित्रः पवित्रे वा सर्वाऽवस्थां गतोऽपि वा । यः
स्मरेत् पुण्डरीकाक्षंस बाहृाभ्यन्तरः शुचिः।।
"
Aachaman
केशवाय नमः। नारायणाय नमः। माधवाय नमः।
Dann waschen Sie Ihre Hände.
Sankalp – Der Suchende sollte einen Entschluss fassen, indem er Wasser in seine rechte Hand nimmt.
ॐ विष्णु र्विष्णु र्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरूषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य श्री ब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे अष्टाविंशति कलियुगे जम्बूदीपे भारतवर्षे(अपना गांव, जिला का नाम उच्चारण करे) संवत् 2079 कार्तिक मासि दीपावली समये कृष्ण पक्षे अमुकतिथौ (तिथी का उच्चारण करे) अमुक बासरे (वार का उच्चारण करे), " (जल भूमि पर छोड़ दें)
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Mit Akshat, Kumkum und Blumen in der Hand –
(5 बा nächsten
(5 बा größer अब साधक ऐश्वव्य लक्ष्मी माला से निम्न मंत्र की 11 माला मंत्र जप 9 दिनों नित्य सम्पन्न कβ-
"
हाथ में पुष्प लेकर क्षमा प्रि
Ohne Mantra, ohne Tat, ohne Hingabe, oh Göttin der Götter.
Was ich angebetet habe, oh Göttin! Möge das perfekt für mich sein.
Oh Verheißungsvoller aller Glückverheißungen, oh Verheißungsvoller, oh Vollstrecker aller Ziele.
Oh Beschützer der drei Welten, oh Gauri, oh Narayani, ich bringe dir meine Ehrerbietungen dar.
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गुरूः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमं
" माला को किसी पवित्र जलाशय में विसर्जित कर दें। साधना काल में शुद्ध सात्विक भोजन्हण क क एवं भूमि शयन क क क।।।
" वास्तव में यह साधना अपने आप अत अत्यन्त महत्वपू्ण औऔ शीघ्र फलदायक है।।।