शान को सताना नहीं, गलाना नहीं, वव सोई हुई चेतना को जगाना, साक्षी को जगाना है।। " " "
" " "
सद्गुरू और ईश्वर का पूर्ण वर्चस्व रूपी आशीर्वाद साधक को तब प्राप्त होता है जब वह अपने गुरू के सानिध्य में महासरस्वती, महाकाली, महालक्ष्मी के त्रिगुणात्मक पिण्ड स्वरूप में पूर्णरूपेण शक्ति स्वरूपा को आत्मसात कर सके। " "
साधक अपने जीवन में सुस्थिति चाहता है। " जाता है तो जीवन में पूsal होता है।
" ऐसी 'शक्ति' की प्राप्ति गतिशील साधक को ही होती हैहैी जब साधक स्वयं यह कह उठता है-
भक्त और भगवान के बीच क्रियाओं को जोड़ने की चेत ना का भाव गुरू प्रदान करता है जिससे जीवन की न्यू नता, अपूर्णता, अंधकार समाप्त होते ही हैं और साध Es gibt viele, viele, viele, viele, viele mehr कर्म शक्ति से युक्त होता है। वास्तव में व्यक्ति में स्वयं इतना सामर्थ्य नह ीं होता कि वह अपने जीवन में पंचभूता स्थितियों ध र्म, अर्थ, काम, मोक्ष और प्रेम को पूर्णता से आत्म सात कर सके।
" इसलिये जीवन में ज्ञान, तप और ऊर्जा और सही मार्ग दर्शन हेतु गुरू की आवश्यकता रहती है जो कि साधक के श्यति पापम् अर्थात जीवन की न्यूनता रूपी अभावों का नाश कर सकें और इन सभी पंच भूता स्थितियों की पूर्णता के लिये साधक के जीवन में शक्ति तत्व का भाव होना आवश्यक है। "
" " "
Es ist obligatorisch zu erhalten Guru Diksha von Revered Gurudev, bevor er Sadhana ausführt oder einen anderen Diksha nimmt. Kontaktieren Sie bitte Kailash Siddhashram, Jodhpur bis E-Mail , Whatsapp, Telefon or Anfrage abschicken um geweihtes und Mantra-geheiligtes Sadhana-Material und weitere Anleitung zu erhalten,