अहं ब्ह्मास्मि 'का मंत्र देने वाले आदि शंक शंक शंक शंका थार ने स्वयं के प बल दिया था। उनका मानना था कि दीनता अन्तत नहीं बाह्य प्भावित है।।।।। बाह्य " " अपनी शक्ति को पहचान कक अहं ब्ह्मास्मि की अनुभूति क क से व व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास तय है है।।।। का आध्यात्मिक
" " मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है। अपने अंदर अनंत शक्ति का स्रोत निहित है। "
उपनिषदों में एक वाक्य 'तत्वमसि' अत्यन्त प्रसिद ्् तत् अर्थात् ब्रह्म एवं त्वम अर्थात् आत्मा है। प्रत्येक व्यक्ति में आत्मा है। आत्मा के बिना किसी के्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती।।।। 'सत्यं ज्ञानं अनन्तं ब्ह्म' अअ्थात् ब्ह्मसत, ज्ञान औअनन अनन्त ूप है।।।। ज ज्ञान " यह सच्चिदानन्द रूप है। यह सत् है, चित् है और आनंद रूप है। " जिस आत्मा से ब्ह्म ूप प्राप्त कक का प्यत्न होता है वह्मा ब्ह्म ूप को प्र्त ककका है है।।।। को प्र्त " "
शंकराचार्य माया के अस्तित्व को स्वीकार करते हैहैि माया अज्ञान रूप है। पure " माया का शाब्दिक अअ्थ क क हुए उन्होंने कहा था 'मा' अazथात् जो है है या 'अअ्थात् उसे ूप में प्तिपादित देनक देन।। ।ा।।।।।।।।।।।।।।।।। besonders " शंकर के अनुसार माया की दो शक्तियां है। ब्रह्मसूत्र शांकरभाष्य उनकी अमर कृति है। जिसमें वे लिखते. यह आरोपण है, बदलाव नहीं। " शंकर के शब्दों में यह विवर्त है, परिणाम नहीं। .
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