" " इस प्रकार पूरे संसार का मानव समुदाय दो भागों ब य ब य जो इड़ा के गर्भ से उत्पन्न हुये, वे चालाक, होशियार, तर्क- विर्तक करने वाले बने और जो श्रद्धा के गर्भ से उत्पन्न हुये, उनमे भगवान के प्रति आस्था, पूर्वजों के प्रति आदर, मंत्र-तंत्र और शास्त्रें के प्रति रूची और विश्वास पूरे "
" जहां पर व्यास नदी अपनी पूस " " यह वही मनाली है, जहां पग-पग पर देवता विचरण करते है " "
" मैं दौड़ कर उनके चरणों में पहुँच गया। वही शान्त, तेजस्वी मुखमण्डल, वही मुस्कुराता हुआ चेहरा, वही खिलखिलाहट और वहीं शान्त सौम्य स्वरूप, उनको देखते ही मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं ही नहीं पूरा मनाली धन्य हो गया है। " " " "
जिनके तेज, ज्ञान औऔ तपस्या से यह सार भूमण्डल व्याप्त है।।।। " उस रात्रि के चन्द्रमा के शीतल प्रकाश में उन सन्यासियों के तेजस्वी मुखमण्डल को देखा, सीने से भी ज्यादा नीचे की और बढी़ हुई शुभ्र दाढ़ी को देखा, लम्बी जटाये, ज्ञान से दैदीप्यमान आखें और साधना से अनुप्राणित तेजस्वी शरीर, वास्तव में ही एक अद्भुत दृश्य था, जिसको शब्दों में बाधां नहीं जा सकता।
" खजाना मिल गया हो। " पहली बार मैंने पूज्य गुरूदेव निखिलेश्वरानन्द जी के अद्भुत विराट व्यक्तित्व को देखा, पहली बार मैंने अनुभव किया कि यह सामान्य व्यक्ति अपने आप में विराटता को समेटे हुये है, और वास्तव में इनके पास एक अद्भुत ज्ञान, तपस्या और साधना का संगम है, तभी तो सैकड़ों-सैकड़ों सन्यासी उन्हें देखने लिये लिये व्यग्र है उनके च च में के के आतु आतु है है कुछ प प्र्त कक क क तत के हैं हैं।। सब न्यौछाव क को ततsal तत हैं हैं हैं। सब न नschieden यौछ क को ततsprechend हैं हैं हैं। सब न नschieden यौछ क को ततschieden
" बीच-बीच में वे हिन्दी में भी बोलते थे। मैं सामान्य संस्कृत का विद्यार हहा हूँ, औऔ कालेज में लेक्चाा हूँ।।।।। क कालेज " उसकी कुशलता, क्षमता पूछते, अब तक की हुई साधनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करते और आगे की साधना का मार्गदर्शन करते और वह पूरी रात इसी प्रकार बीत गई, न सन्यासी थके न मुझे किसी प्रकार आलस्य का अनुभव हुआ। "
" " " परन्तु उन पांच दिनों में उनके द्वारा जिन ऐतिहासिक स्थानों का ज्ञान प्राप्त हुआ, उनकी पौराणिक पृष्ठ भूमि मालूम पड़ी वह अपने आप में अद्वितीय है, मैं निश्चय ही इन पांच दिनों में गुरूदेव के साथ बिताये हुये क्षणों और बताये हुये ऐतिहासिक स्थानों तथा उनकी पौराणिक पृष्ठ " " "
Ich wollte einen detaillierten Bericht über die Art und Weise schreiben, wie er den angesehenen Gurudev begrüßte und beglückwünschte, und ich wünschte, ich könnte diesen gesamten Diskurs in einfaches Hindi transkribieren und ihn den Lesern des Magazins vorlegen, damit daraus eine Geschichte werden könnte. Dokumente kann gemacht werden, aber ich werde das alles im Detail in diesem Buch schreiben, in diesem Artikel möchte ich eine kurze Beschreibung dieser Orte geben, über die die Bewohner von Manali, geschweige denn Historiker, nichts über diese Orte wissen. Ich habe Ich hatte die Gelegenheit, den angesehenen Gurudev während dieser vier bis fünf Tage an allen Orten zu begleiten, und er erzählte beim Gehen viele neue Dinge, vermittelte Wissen über diese historischen und mythologischen Orte und zeigte die Orte, an denen echte mythologische Ereignisse stattgefunden hatten.
हिमालय में सात कैलाश कहे जाते है, उनमें से दो कैलाश इस हिमाचल प्रदेश में है जो कि विशेष रूप से दर्शनीय है, पूज्य गुरूदेव ने बताया कि माता पार्वती का यह जन्म स्थान तथा सती का तपोस्थल होने के कारण यहां शक्ति का प्रवाह विशेष रूप से हो रहा है। " " माता छिन्नमस्ता, महाकाली, धूमावती, त्रिपुर सुन्दरी आदि महाविद्याओं की पर्वत चोटिया केवल मनाली के चारों ओर ही विद्यमान है, जहां पर उस महाविद्या से संबंधित साधना करने से निश्चय ही शीघ्र सपफ़लता और उनके दर्शन प्राप्त होते है।
ज्वाला युक्त पा nächsten " इन दसो महाविद्याओं की सेवा में संलग्न हों, यही पर एक पहाड़ की चोटी का नाम कोघड़धार हैं जहां पर वायुविद्या जैसी तन्त्र क्रिया सम्पन्न की जाती है आज भी भाद्रपद मास की अमावस्या की रात्रि को यहां पूरे हिमालय के उच्चकोटि के तांत्रिक एकत्र होते है और वे " बंटवाड़ा तथा मालाणग गांवो के व्यकयक को ज्ञान है शून शून्य में विच विच किस त से किया जाये।
यह क्षेत्र योगियों की साधना स्थली के साथ-साथ विशाल स्वव में उच्चकोटि की जड़ी बूटियां आज भी विद्यमान है।।।। जड़ी बूटियां पूज्य गुरूदेव ने मुझे एक जड़ी-बुटी का छोटा सा पफ़ल तोड़कर खाने को दिया और मात्र पांच मिनिट के भीतर मुझे इतनी गर्मी लगने लगी कि उस भयानक सर्दी में भी अपना कुर्ता और बनियान उतारने के लिये बाध्य होना पड़ा और तब भी सारे शरीर से पसीना छूट रहा था। " " " "
इसके अलावा भी लगभग 50-60 विभिन्न जड़ी-बूटियों से संबंधित कि पत पत्तियों, फूलों औ फलों फलों का संग्ह किया है, जिसमें पुस पुस्तक '' गुगु के साथ प दिन 'में चित्ें सहित उलउलogr. उलउलogr. सहितउलogr. "
हिमाचल के प्र्वेश मार्ग (स्वार घाट).
" " " यह वैरी नामक स्थान से तीन किलो मीटर दूर है।
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" " आज. कटोरा खाली हो जाता है। " "
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मनाली से शिमला के रास्ते में मण्डी स्थान पड़ता है, जो अत्यन्त प्सिद्ध है।।।।। अतsprechend 80 मन्दिर और चार गुप्त मन्दिर है। " " "
इसको कैलाश कहा जाता है, प्कृति की दृष्टि से एक अद अद्भुत पप्वत खण्ड है प भगव भगवान शिव पत पत्नी गौ गौ के माता पित हते थे थे।।। पत पतsprechung " " आशsprechend
" " " यह अत्यन्त प्राचीन मन्दि है यहां के लोग ढूंग ढूंगढूंग माता कहते है।।
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