इसीलिये सूर्य को विश्वात्मा भी कहा जाता है। " " सूर्य को काल भी कहा गया है। महाकल्प, कल्प, महायुग, युग, शताब्दी, वव्ष, ऋतु, मास, पक्ष, दिन-रात, घण्टा, मिनट, सेकण्ड आदि पृथ्वी सूsal को पपogr.।। के आधार पपfluss "
" इसी श्रृंखला में मकर सक्रांन्ति का विशेष महतऍ्वविशेव " " " "
" यह वहां का वर्ष भर का सबसे बड़ा त्यौहार है। चार दिन तक उत्सव चलता है। " मकर संक्रान्ति में दिन और रात बराबर समय का होता ै " " " उतsprechend "
Körper und Sonne – मनुष्य का शरीर अपने आप में सृष्टि के सारे क्रम को समेटे हुये है, और जब यह क्रम बिगड़ जाता है तो शरीर में दोष उत्पन्न होते हैं, जिसके कारण व्याधि, पीड़ा, बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। " " क्या का nächsten दोनों में भेद शरीर के भीतर जाग्रत सूर्ि " " इस तत्त्व को अअ्थात् भीतभीत सूसू सूसू्य चक्र को जाग्त कक के लिये ब बाह के सूसू्य तत्त्व की साधना आवश्यक है।।।।।।।। तत्त्व की साधना है है।।।।।।। तत्त्व की सा आवशsprechung बाहर का सूर्य अनन्त शक्ति का स्त्रोत है, और इसको जब भीतर के सूर्य चक्र से जोड़ दिया जाता है तो साधारण मनुष्य भी अन्नत मानसिक शक्तियों का अधिकारी बन जाता है और बीमारी, पीड़ा बाधायें उस मनुष्य के पास आ ही नहीं सकती हैं। "
" " " " . इसी दिन के आगे- पीछे अंग्रेजी नववर्ष भी मनाया जााजाा " इसी समय को हम बेहोशी, उन्माद अवस्था में नहीं मनैामनें "
सद्गुरूदेव ने हमारे ऋषि-मुनियों के 'गणना-चितंन' क्रम को मुखरित करते हुये यह स्पष्ट किया था, कि वास्तव में मकर संक्रान्ति का पर्व केवल शरद ऋतु के उपरांत आने वाली सुखद ऊष्मा के स्वागत का ही अवसर नहीं है, वरन् साधना-पर्व भी है क, क्योंकि इस दिवस को सू सू सू सू सू सू सू पा है जिससे जिससे स द स स्थिति पा है, जिससेाधना के द्वारा उसकी तेजस्विता को प्र में पू पू पू पू पू से से उतzogenes जा जा जा जा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाा ाauber "
वैज्ञानिक जिस सूर्य को अक्षय स्त्रोत के रूप में देख कर कृतज्ञ हो रहे हैं, भारतीय चिंतन उसे युगों पूर्व ऊर्जा के स्त्रोत या बिजली बनाने के कारखाने के रूप में न देखकर साक्षात् जीवनदाता के रूप में वन्दित करता आ रहा है। " साधकों को दोनों संध्या समय में उपासना, तत्पण, अअ्ध्य, नमस्कार आदि क्िया नित्य प्तिदिन ककक चाहिये।
Nidhi Shrimali
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