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" मनु स्मृति में लिखा है।
अर्थात् जीवन पर भाश " "
" वास्तव में शपथ, संकल्प प्रणाली का ही निर्वाह हैी
" आजकल तो शपथ लेना एक आम बात हो गयी है।
बातचीत में, बाय गॉड, बाय फादर, बाय यू, साधानण बात बात "
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" " " ऐसी स्थिति में क्या कβ, क्या केवल विशेष पल मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू में गयी गयी साधना सफल होती है।।।।।।।। गयी गयी स साधना सफल है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू "
इसका यह तात्पप्य है कि उचित समय प संकल्प लेना आवश्यक है।।। संकल्प में मंत्र जप संख्या का उल्लेख अवश्य करेंेंि . संकल्प में आप गुरू को साक्षी रख रहे है। " " "
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ॐ विष्णुः तत्सत ब्रह्मणोऽह्रिद्वितीये परार्देेे
श्ी श्वेतवाहकल्पे वैवस्वतमन्वतवत अष्टाविंशतितमे कलियुगे
Kalipratham Chara Bharata Khande—–
इसका सीधा तात्प्य है कि हम अपनी उस चिचिन्तन सत्ता का स्म क क क हैं।।। " " संकल्प में जल ग्रहण क्यों?
" उनके साक्ष्य में जो प्रतिज्ञा सम्पन्न की जायेगी, वैज्ञानिक दृष्टि से जिस प्रकार हमारा शरीर ग्रहण किये गये अन्न का परिणाम है उसी प्रकार 'अपोमयाः प्राणाः' इस वेद प्रमाण के अनुसार प्राण शक्ति भी ग्रहण किये हुये जल का भाव है। " प्राण शक्ति के बिना कर्म शक्ति भी जाग्रत नहीं हो
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" " " कभी तमोगुण. इसीलिये संकल्प सुक्त में कहा गया है- तन्मे मनः शिव संकल्पमस्तु, अअ्थात् मेमेा मन सदा कल्याी संकल्पों से युकschieden हो।।।।। कलायाणक संकलsprechend
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सबसे बड़ा हमार लक्ष्य है आनन्द की्राप्ति, ईश्ववप्राप्ति। " "
Nidhi Shrimali
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