ऐसे अद्वितीय स्वव का पांचवे दिन साधक विशुद्ध चक्र में ध्यान कान है है।।।। ध ध्यान " .
" इसी प्कार श्ी विद्या स्कंधमाता शक्ति स्ववा ललिताम्बा की उपासना कक से साधक को सब कुछ प्र्त होत है साी इच्छ इच पूपूogr. " सुआचरण, सुव्यवहार, सुसंस्कार की प्राप्ति होती ह
भगवती ललिताम्बा परा विद्या होने के कारण भक्त के अविद्यारूपी छल, कपट, घृणा, कुंठा, विकृत कामदोष ; ति, दूसरे के प्रति जलन-ईर्ष्या और शुत्रता बैरता द्वेष के भाव समाप्त होते है।
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उसी भण्डासुर के प्रकोप से त्रिलोक में हाहाकार में हाहाकार में " धातु की अपेक्षा भस्म में अधिक गुण होते हैं। " ऐसा करने पर वह दब जायेगा। लेकिन कालान्तर में फिर प्रकट हो सकता है। " जिससे वह महान अनर्थकारी होता है।
" पराविद्या स्कंधमाता पंचमी शक्ति का ललिताम्बा स्वरूप इन्हीं नकारात्मक शक्ति को परिवर्तित कर साधक को लालित्यता, कोमलता, सौम्यता, माधुर्यता, स्निग्धता, वात्सल्यता, स्नेह, करूणा, प्रेम, आनन्द, सौन्दर्य, सात्विक काम शक्ति, ओज, तेज, आकर्षण, सम्मोहन, धन , सुख-सौभाग्य प्रदान करती है। " जिससे साधक सभी सुखों को भोगता हुआ मोक्ष को्रपunder
इस साधना को सम्पन्न करने हेतु 10 अक्टूबर 2021, रविवार को प्रातः स्नान आदि के बाद लाल-पीला साफ वस्त्र धारण कर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैंठे। सामग्ी- श्ी लक्ष्मी ललिताम्बा यंत्र, पंचमी शक्ति माला, ससाज गुटिका, तथा अष्टगंध, कुंकुंम, पांच तेल का दीपक, अक्प, इल जल जल केश केशकेश, मिषकेशoge, मिषogr. लकड़ी के बाजोट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर तांबे या स्टील के थाली में पुष्प पंखुडी फैलाकर, बीच में श्री लक्ष्मी ललिताम्बा यंत्र रखें और पंचमी शक्ति माला को यंत्र के ऊपर गोलाकार में रखें फिर उसके बीच में रसराज गुटिका स्थापित करें। " अब पवित्रीकरण करें-
ऊँ अपवित्रः पवित्रे वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।
यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं सः बाह्याभ्यान्तरः शुःशुः
हाथ में पुष्प् लेकfluss
OM GAM GANAPATIYE GAM NAMAH. OM BHAM BHAIRAVAYA BHAM NAMAH.
"
आनन्दमानन्दकरं प्रसन्नं ज्ञानस्वरूपं निजबोूमूमम
योगीनsprechend
गुरू मंत्र का 1 माला जप करें और गुरू प्रार्थना कर-ं
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O Lord Lalitamba, gib mir die Erlaubnis, dich anzubeten
Tragen Sie im Yantra fünf Punkte aus Kumkum-Safran auf.
चन्दन, पुष्प, अक्षत, मिष्ठान फल, पांच आचमन्य जल अअ्पित क क।।। "
उसके बाद 5 माला 9 दिन तक जप करें। " प्रसाद ग्रहण करें। 9 दिन बाद यंत्र माला को लाल कपड़े में लपेट कर गुरू चरण में अर्पण करें, रसराज गुटिका को लाल या पीले धागे में गले में धारण करें। "
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