योग अब एक अन्तर्राष्ट्रीय शक्ति भाव बन गया है। " " कुछ लोग सोचते है कि उनके उनके.
" दवा व उपचार के आधुनिक साधन उपलब्ध होने के बावजूद भी अक्सर यह देखने को मिलता है कि वे पुनर्जीवन, योग तथा समस्यायें, जो सभ्यता के साथ तनाव, शिराव्याधि तथा स्नाविक विघटन के रूप में मनुष्य जीवन में व्याप्त हो गयी हैं, योगाभ्यास द्वारा इन्हें दूर किया जा सकता है। "
Was ist Yoga? " " जैसे नदी समुद्र में मिलकर एकाकार हो जाती है, उसी प्रकार मनुष्य निम्न, सीमित तथा अल्प चेतना, मस्तिष्क तथा सजगता को योगाभ्यास द्वारा उस अनन्त असीम चेतना में मिलाकर अपने रोग, शोक तथा भय से छुटकारा पा लेता है तथा सुखी शांत एवं ज्ञानलोक की चेतना से युक्त हो सकता है। योग. " मानसिक चिंता, शिाव्याधि, अनिद्रा का सफल उपचार आसनों द्वा होता है।। " .
" " प्रत्येक व्यक्ति में वह सृजन शक्ति विद्यमान हैन "
Patanjali-Yoga-Philosophie
योग के ये आठ अंग हैं- " यही योगाभ्यास करने का परमोद्देश्य है। " 'विष्णु पुपुाण' के अनुसार हिहिहि्यगभ्भ ने अअ्थात् ब्ह्मा ने स्वाध्यय शील ऋषियों योग विद विद्या का उपदेश दिया। योग विद्या के प्रथम प्रचारक हिरण्यगर्भ ही थे, वे चाहे ब्रह्मा हों, कपिल हों या स्वयं नारायण हों, उस काल में योग विद्या ग्रंथ लिखित नहीं था। " " बाद में अनेकानेक योग विद्या पfluss "
Ashtanga Yoga von Maharishi Patanjali
" "
Yogamarg besteht aus acht Schritten
Yama– यम योग का प्रथम अंग है। " " "
Regeln– नियम का अर्थ है सदाचार का प्राश्रय देना। " "
Haltung- आसन का अअ्थ है- " जो कि योगाभ्यास के लिये आवश्यक है। योग द्वारा शरीर स्वस्थ भी रहता है।
Pranayama– इसमें 'श्वास प्रश्वास योगतिविच्छेदः प्राणायामः' अर्थात् श्वास प्रश्वास दोनों की गति को संयत करना प्राणायाम कहलाता है। " " कुंभक, रेचक, पूरक आदि इसके अंग हैं।
Rückzug- प्त्याहार का अा अ है- " "
eine Annahme– धारणा का अर्थ है-चित्त को अभीष्ट विषय पर जमाना। धारणा आंतरिक अनुशासन की पहली सीढ़ी है। धाणा में चित्त को एक वस वस्तु पप्द्ित कक देना होता है, वह वस्तु बाह्य या आंतआंत दोनों दोनों हो सकती है है जैसे देव पsal। ूप य य य यsprechend इषsal इषsal इषइष इषsprechend कsal बिम आदि आदि य य इषschieden इस अवस्था के बाद साधक ध्यान क्रिया की ओर अग्रसी
ध्यान.– ध्यान का अर्थ है-अभीष्ट विषय पर निरन्तर अनुशीलन ध्यान की वस्तु का ज्ञान अविच्छिन्न ूप से होता है, जिसके फलस्वव विषय का स्पष्ट ज्ञान हो जाता है।।। सsal "
Mausoleum- इस अवस्था में ध्यान की वस्तु अअ्थात् ध्येय की ही चेतना हती है है।। " ध्यान की अवस्था में वस्तु की ध्यान क्िया औfluss इस अवस्था की प्राप्ति हो जाने प प चित क का निनि 'हो जाता है।।। जो कि पतंजली योग दर्शन का उद्देश्य है। यही आत्मा का मोक्ष मार्ग भी है।
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