" नेपाल के स्वस्तिक की पूजा हेरम्ब नाम से की जाती है, बर्मा में महा प्रियन्ने के नाम से इसकी पूजा होती है। " हिटलर ने भी स्वस्तिक के निशान को महत्वपूर्ा मानन
स्वस्तिक जर्मन के राष्ट्रीय ध्वज में विद्यमान ै ैविद्यमाह वास्तु शास्तानुसार स्वस्तिक से चाों दिशाओं का बोध होता है।।।।। दिशाओं कार " "
ब्रह्माण्ड में आकाश तत्व के अन्तर्गत सभी सौर मंडल एक विशेष चुम्बकीय शक्ति के आकर्षन से निश्चित गति में गतिशील रहते हैं उसी तरह से सौर मंडल में पृथ्वी भी अपनी धुरी पर निश्चित गति से गतिशील रहती है तथा इसका चुम्बकीय आकर्षण उत्तरायन से दक्षिणायन की ओर होता है । " " "
" यदि मनुष्य स्वस्तिक, ऊँ आदि देव शक्तियों के प्रतीक चिन्ह को अपनी पूजा, साधना, उपासना में सम्मिलित करता है, तो वह स्वस्तिक में विद्यमान ऊर्जा शक्ति को अपनी देह में आत्मसात कर ऊर्जा युक्त हो सकता है।
" " इसके साथ स्वस्तिक को भगवान गणेश का प्रतीक चिन्ह माना जाता है और धन की देवी महालक्ष्मी का भी, गणपति के द्वारा विघ्नों का नाश होता है और महालक्ष्मी के द्वारा सकारात्मक ऊर्जा का आगमन अर्थात शुभ व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
" " जिससे स्वास्थ्य में न्यूनता आती है, ये निगेटिव ऊर्जा , पॉजिटिव ऊर्जा का क्षय करती हैं, इसलिये हमे सदा निगेटिव ऊर्जा को नष्ट करने के उपाय करने चाहिये, जिससे हम स्वस्थ, सुखी एवं सम्पन्न रह सके। " "
वास्तु शास्त्र में सूर्य को मुख्य ऊर्जा का स्रोत माना गया है तथा अन्य ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं। "Radioaktiv) से युक्त हानिकारक होती है। "
" " " " " इन सभी का कारण यही होता है।
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" इसका मुख्य काण चुम्बकीय एवं प्काशीय कि में में ूक ूक ूक एवं व्यवधान होता है।।।।। ूक एवं व्यवधान "
वास्तु शास्त्; इससे स्वच्छ एवं शुद्ध वायु मण्डलीय वातावरण में एकाग्रता प्रज्ञप्त होती है और आत्म चेतना से चिन्तन शुद्ध व सात्विक होता है। "
मनुष्य का मस्तिष्क शरीर का सबसे संवेदनशील भाग ह ईशान कोण में पूजा क? वास्तु शास्त्र के सिद्धान्त हमें स्वस्थ रखने के लिये उचित ऊर्जा प्रदान करते हैं तथा भवन निर्माण में धार्मिक क्रियाओं द्वारा परब्रह्म परमेश्वर से जीवात्मा का सम्बन्ध स्थापित करते है और पूजा, आराधाना व साधना के लिये भवन में ही उपयुक्त चेतना व शुद्धता का मार्ग प्रशस्त होता है ।
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