" इस समय पुंसवन संस्का größer " " पुंसवन संस्कार का उदेश्य स्वस्थ, सुंदसुंद औान संतान की प्राप्ति है।।। साथ ही भगवान द्वारा कृपा प्राप्त करने कि लिये पूजा-पाठ यज्ञादि से उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है और कामना की जाती है कि गर्भकाल अच्छे से व्यतीत हो और एक हष्ट-पुष्ट संतान की उत्पत्ति हो व समय पूर्ण होने पर वह परिपक्व रूप में उत्पन्न हो।
" " इससे शिशु पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। " " " यह संस्कार शुभ नक्षत्र में अच्छे दिवस प संपन्न किया जाना चाहिये।
" " वट वृक्ष विशालता, दृढ़ता का प्रतीक है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है जो धैर्य का सूचक है। " गिलोय में ऊपर चढने की प्रवृत्ति विद्यमान है। यह हानिकारक कीटाणुओं की नाशक है। " "
वहीं पीपल देव योनि के वृक्ष के रूप में पूजा जातै ै . "
" माध्यम से गर्भिणी में समाहित हो रहे हैं। गर्भिणी औषधि को निम्न मंत्र के साथ सूंघती है।
ऊँ Zur Hälfte mit der Erde und dem Geschmack gefüllt Vor der Konvergenz von Visvakarma, seinem Tvashta
विदधद्रुपमेति तन्मर्त्यस्ि
"
ममास्य भा nächsten
दोष पपपारारschieden
"
" -
Und ich werde versuchen, sie gesund und glücklich zu machen.
(गग्भिणी को स्वस्थ औऔ प्सन्न खने के प प्यत्न कक।।)
ऊँ Ich werde dafür sorgen, dass wir unseren Geist verschmutzen
()
ऊँ Ich werde mein Verhalten vorbildlich gestalten.
(Machen Sie Ihr Verhalten vorbildlich)
इसके पश्चात् पपार के सदस सदस्य निम्न मंत्र के साथ गaz ग के सि प पाथ खते है- है- है- है- है- है-
„Das, was in deinem Herzen ist, Sushima, ist das Beste des Schöpfers.“
मन्येऽहं मां तद्विद्वांसमाहं पो्रमघन्नियाम्
गायत्री मंत्र की आहुतियां दी जाती है। पुंसवन संस्कार में हवन किया जाता है, ईष्टदेव पूजन भी कियाता है।।। किय किया जाता है। प्रसाद रूप में खीर का भोग लगाया जाता है। हवन-पूजन संपन्न होने के पश्चात् ग~ ग व प प प प प प प प सभी बडे़- ब्राह्मण भोज का आयोजन भी किया जाता है।
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