" "
"
" "
इसलिये प्रत्येक मानव का कर्तव्य है कि पहले स्वयं सुसंस्कारित बनें और फिर आने वाली पीढ़ी को इस तरह संस्कारित करें कि हमारी पुरातन संस्कृति योग, प्रणाम, पूजा, आराधना, साधना, उत्तम गुण, सहनशीलता, धैर्य, संयम, आदर-सत्कार, जीव- "
यदि. माता-पिता को चाहिये कि वे अपने बालकों में संस्कार डालें जो आगे चलक उन्हें सभी सद्गुणों से्त श्ेष्ठ व्यक्तित प्दद क सके।।।।। श्ेष्ठ व्यक्व प्दान क सके सके।।।।। श्ेष्ठ व्यक्व प्दान क सके सके।।।।। श missbraucht
" " इसका मुख्य कारण है आज की आधुनिक शिक्षाप्रणाली। जिसका शाब्दिक ज्ञान के अलावा आत्मिक ज्ञान, संस्कार, संस्कृति से कोई वास्ता ही नहीं है।।।
" " आज. आज सामाजिक हिंसा, भेद-भाव, ईई्ष्या की वृत्तियों में तेजी से बढ़ोत बढ़ोत हो हो ही है।।।।।।।। में में तेजी से बढ़ोत बढ़ोत वृत। वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत।।। वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत वृत आज स स स सiel अभिभावकों के साथ ही शैक्षणिक, सामाजिक तथा साहित्यिक व स्वयं संस्थाओं तथा स्वयं के चितंन को नई दिशा देनी होगी और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने नैतिक दायित्व का पालना करना होगा।
बच्चों को उत्तम संस्कार प्दान कक में माताओं की अहम भूमिका होती है।।।।। माताओं "
" यदि मातायें संस्कावान् होंगी तो संतानें भी संस्कावान् होंगी ही।।।
एक व्यक्ति के पास दो तोते पिंजरें में बंद थे। " लगा। इसलिये माता-पिता को सदैव ध ध्यान खना चाहिये कि उनके बच्चों का सच्चे अ्थं में मित्र कौन? "
माता-पिता कुछ समय बच्चों के साथ बितायें उनसे मित्रवत व्यवहार करें और उनकी भावनाओं को समझकर परिवर्तन करने का प्रयास करना उचित होगा। उनके होमवर्क देखें। समय-समय पप विद्यालय या कालेज में जाक बालकों की प्गति के बाे में उनके अध्यापकों से बातचीत कक चाहिये। " एक संस्काित पुत्र-पुत्ी, श्ेष्ठ गृहस्थ बनाने में माताओं का सबसे अधिक योगदान होता है।
" दादा-दादी, पुत्र पुत्वधू, पौत्र पौत्वधू इन पीढि़यों में हम यह प प प प प।। प प प प में को को मिलता है।। " पाश्चात्य संस्कृति इस पure कार प्भावी है कि भातीय सभ्यता अस्त-व्यस्त हो है है।।।।।।। सभsal .
आज प्रायः प्त्येक मनुष्य धनोपार्जन में इतना व्यस्त है कि उसको अपने बच्चे क्या कक हे है है? वे किधर जा रहे हैं? " " अपने व्यस्तम जीवन प्णाली में कुछ समय प प प प को सँवाने के लिये अवश्य दें।।
किताबी ज्ञान से तो सिपफऱ् अअ्थोंपार्जन तक सीमित ह हा जा सकता है। " तभी मानव जीवन सार्थक हो सकता है। "
liebe deine Mutter
Shobha Shrimali
Es ist obligatorisch zu erhalten Guru Diksha von Revered Gurudev, bevor er Sadhana ausführt oder einen anderen Diksha nimmt. Kontaktieren Sie bitte Kailash Siddhashram, Jodhpur bis E-Mail , Whatsapp, Telefon or Anfrage abschicken um geweihtes und Mantra-geheiligtes Sadhana-Material und weitere Anleitung zu erhalten,