गुरू का भी एक अर्थ है तुम्हारी नींद को तोड़ देना़ " " " " उठने का मन नहीं होता मन सदा सोने का ही होता है।
" जो तुम्हें सांत्वना देता है, गीत गाता है, सुलाता है, वह तुम्हें भला मालूम पड़ता है है।। तुम तुम्हें भला मालूम जिस सांत्वना की तुम तलाश कर रहे हो, सत्य की नहीं। अगअग हजाों, लाखों, कक लोगों की मांग सांत्वना की तो तो कोई न कोई तुम्हें सांत्वना देने को र र हो होायेगा। "
" इस वचन के कारण लोगो को बड़ी कठिनाई रही। " " " यह तलवार किस तरह की है? " यह तलवार कोई प्रगट में दिखाई पड़ने वाली तलवार नह यह तुम्हें मारेगी भी और तुम मरोगे भी नहीं। यह तुम्हें जलायेगी, लेकिन तुमsprechung
हह गु के के हाथ में तलवार औ औ जो गु तुम्हें जगाना चाहेगा वह तुम्हें शत्ु जैसा मालूम होगा।। फिर तुम्हारी नींद आज की नहीं, बहुत पुरानी है। " " " नींद अगर गलत है तो नींद का सारा फैलाव गलत है। "
" " लोग जाते हैं, और भागते हैं। जैसे ही नींद प चोट होती है वैसे ही बेचैनी शु शु हो जाती है।।। " जैसे ही तुम उन्हें हिलाओ, वैसे ही बेचैनी शुरू हो हो "
" " " " " " मैं केवल उन विधियों उन विचाों, उन चिन्तनों को जानना चाहता हूं।।।
जब विश्वामित्achst दो ही रास्ते हैं, तीसरा रास्ता हो ही नहीं सकता। जीवन का अगर एक पक्ष योग है, तो भोग भी दूसरा पक्ष ही
" " " भोगी व्यक्ति जीवन में पूर्णता प्राप्त कर हकककि भोगी व्यक्ति के पास पांच हजार ूपये हैं, वो सोचेगा कि दस हजार होने पच्चीस हजार होने चाहिये। जिस व्यक्ति के पास धन पर्याप्त है, उसकी कुछ और तृष्णाये होंगी, और इच्छाये होंगी, पुत्र होगा तो पुत्र की शादी की बात सोचेगा, शादी हो गई तो पौत्र की बात सोचेगा, अपने बुढ़ापे की बात सोचेगा, हर समय चिन्ता में रहेगा, तनाव ग्रस्त ही रहेगा। "
" पिछले पच्चीस हजा nächsten
यह नहीं सोचा जाता कि क क्या कहेंगे, क्योंकि लोग तो कहेंगे ही।।।।। आप कुछ करोगे तब भी कहेंगे, कुछ नहीं करोगे गब भी कं " समाज का निर्माण ही इसलिये हुआ है। तुमने सुकरात को व्यर्थ ही जहर नहीं पिलाया। जीसस को सूली देनी पड़ी क्योंकि वह तुम्हें सोने देता। तुम थके-मांदे हो, तुम नींद में उतरना चाहते हो। तुम. ध्यान से भी उसी को हैं-किसी त त तुम भूल ज ज कि तुम हो हो।।।
गुरू तुम्हें जगायेगा और याद दिलायेगा कि तुम हो। गुरू तुम्हारे नशे को तोड़ेगा, तुमसे शराब छीन लेग तुमसे सारी मादकता छीन लेगा। " तुम्हें जागना ही पड़े। तुम्हें पूरी तरह जागना होगा ताकि?
" उस नये जगत का नाम मोक्ष। " नींद.
" " उसने कहा यही पूछ-पूछकर मेरा दिवाला निकल गया है। " अब मैने पूछना ही बंद कर दिया है।
" . " इस संसार में गूंजती आवाजो से गुगु की आवाज मूलतः पृथक् है। वह किसी काम से नहीं बुला रहा है। वह तुम्हें बेकाम बुला रहा है। "
" कोई काम है? " फिर झपकी ले कर सो गया। थोड़ी देर में फिर सुकरात ने बुलाया श्यामा! उसने फिर नींद से चौंक कर उत्तर दिया जी! सोचा होगा शायद गुरू काम भूल गये थे, अब शायद याद थय! लेकिन सुकरात फिर चुप ही रहे। "
वह हैरान हुआ मन में। यह गुरू पागल तो नहीं हो गया? " गुगु का बुलाना किसी वासना की पुकार नहीं है कोई मांग नहीं है।।। गुरू का बुलाना अपने आप में पूर्ण है। " "
" पता ही नहीं चलेगा कोई बुला रहा है, या नहीं बुला ाह शsprechung लेकिन श्यामा चकित जरूर होगा, चिंतित भी होगा। गुरू बुलाता है और चुप हो जाता है। गुरू अक्सर पागल मालूम होगा। तुम पागलो की दुनिया में हो तो उसकी तुम तुम्हें पागल ही लगेगी।। श्यामा भी सोच रहा था। कि गुरू को क्या हो गया है? आवाज देते है और चुप हो जाते है, यह कैसी आवाज? हम समझ पाते हैं
किसी भी चीज को अगर उसमें शृंखला हो। " " श्यामा विडंबना में पड़ गया। " कोई वासना, कोई इच्छा का संबंध भी नहीं। मैं तुमसे कुछ चाहता भी नहीं हूं। मेरी कोई मांग भी नहीं। " मुझे तुमसे क्षमा मांगनी चाहिये। . बेकार ही बुला रहे हो।
हम समझ लेते हैं, जब कोई काम हो। जहां भी निष्काम कुछ हो, हमारी समझ के बाहर हो जातै जातै " "
हम अपनी ही प्रतिमा में परमात्मा को सोचते है। हम बिना काम एक कदम नहीं उठायेंगे। हम बिना काम आंख भी नहीं हिलायेंगें। " " हां, लोग इस पर आते-जाते हैं। " उस भिखारी ने कहा, जहां तक मेरी समझ है।
" "
" " गुरू ने पुकारा श्यामा और पूर्णविराम हो गया। यह पुकार निष्प्रयोजन है। यह पुकार लीला है। यह पुकार एक खेल है।
" तुझे सोने नहीं देता। " सोचने भी नहीं देते शांति से भीत भी विघ्न खड़ा क देते है।।। " " तेरे आलस्य के लिये तू ही आधार है। तीसतीस बार बुलाना पड़ा फि भी तू क क लेता है औ सो जाता है।।
तीन हजार बार भी बुलाना पड़े तो भी गुरू थकता नहऀंू जिस दिन तुम जागोगे, उस दिन तुम क्षमा मांगोगे। " " बुद्ध ने कहा तीन बार में भी कोई सुन तो अनूठा है, अद्वितीय है।।। तीन बार में भी कौन सुनता है? तुम वहां मौजुद भी नहीं हो सुनने को। तुमने प्रश्न पूछा कि तुम सो गये। तुम प्रश्न भी शायद नींद में पूछते हो। " तब तुम नींद से जागते हो।
" गुरू के साथ हो जाये तो अनूठी घटना है। गुरू के बिना तो होगा नहीं। " यह चोट विनम्र ही होगी। यह चोट कोई आक्रमक नहीं हो सकती। यह चोट पानी की तरह होगी। जैसे पानी चटटन पर गिरता है। श्यामा यह गुरू की आवाज तो बहुत कठोर नहीं हो सकतीी " "
" " पानी गिरता रहेगा। एक न एक दिन चट्टान टूट जायेगी, रेत हो जायेगी। " " " " कम से कम नाराज नहीं हो रहा है। तुम होते तो शायद नाराज भी हो जाते यह क्या लगा रखी ! " कुछ कहना हो तो कहा दो अन्यथा चुप रहो। तुम्हारे मन में यही आवाज उठी तो फिर श्रद्धा नहीं " "
" जहर खा लिया था। अब भारत में कोई शुद्ध जहर मिलता है! जहर भी खा लिया, मरा भी नहीं। इस जगत में माया हो या न हो, मगर हमारे यहां बड़ी मा यहां बड़ी या याााााााााााया हो यहां तो माया ही माया है। दूध में पानी मिलाते थे लोग अब कलियुग आ गया, पानी में दूध मिलाते हैं।। जहर में पता नहीं क्या मिलाते है! मुल्ला नसरूदीन जहर खा कर सो गया। " पत्नी ने कहा होश में हो? जाग गये कि नींद में हो? नसरूदीन ने कहा तू होश में है? अगर मैं नहीं मरा तो पांच रूपये बेकार गये। पांच रूपये का जहर खा गया हूं, मर चुका हूं। पहले. भोजन न किया, नहाया नहीं, बिस्तर पर ही पड़ा रहा। उठे नहीं। " मनोवैज्ञानिक के पास ले गये। " कुर्सी से उठाकर चलो।
" देखते नहीं मेरे पैर बिलकुल उलटे हो गये है। जैसे भूत-प्रेतों के होते हैं। मनोवैज्ञानिक ने कहा यह आदमी ऐसे मानने वाला नह ीं दलील पर दलील करे। " उस मनोवैज्ञानिक ने कहा एक काम क यह तू मानता है कि मुमु्दा आदमी में खून नहीं निकल सकता? " " मनौवैज्ञानिक ने कहा अब क्या कहते हो? बड़े मियां अब क्या कहते हो?
" वह धारण गलत थी। " जो होगा व भी भगवान अच्छा ही करेगा। "
तुम जो चाहो मान लो। " वह कोई नींद में करवट बदलने को नहीं कह रहा। सोने के लिये स्थान बदलना नहीं होता, मन्थिति बदलनी होती है।। और लोग स्थान बदल रहे हैं। कोई चला हिमालय, कोई चला काशी, काबा। स्थान बदल रहे हैं, परिस्थितियां बदल रहे हैं। घर छोड़ दिया, बाजार छोड़ दिया। कहां जाओगे? मन तुम्हारे साथ होगा। इसलिये तुम जहां रहोगे वहीं फिर बाजार बन जायेगा।
" ये ऋषि-मुनि छोड़ आये अपनी घ की मेनक मेनका को, लेकिन मन नहीं छोड़ सकते।। मन नहीं छूटा तो मेनका कैसे छूटेगी? " " बड़े हाव-भाव दिखाती है, ऋषि-मुनियों को पास पा कर। यह मेनका नहीं है हमारा मन है।
" दिखाई पड़ने लगेगी। " हां प्रेमी को प्रेयसी का मुखड़ा दिखाई पड़ता है। मजनू से पूछो, तो वह कहेगा लैला दिखाई पड़ती है। किसी कंजूस से पूछो वह कहेगा कि चांदी की तश्तत दिखाई पड़ती है।।।। लोगों. चांद का इसमें कुछ हाथ नहीं। तुम जो चाहो देखना, वहीं दिखाई पड़ेगा। तुम्हें नींद में सपने में सब्तिबिम्ब ही दिखाई पड़ता है। जब तुम नींद से जागेगो तभी तो उस ध्यान में जागरण कण कण
एक आश्रम में काफी भिक्षु थे। नियम तो यही बौद बौद्ध भिक्षुओं का कि सू ढलने ढलने पहले एक ब ब) वे भोजन क लें लें। " " भोजन छिपाकर न किया जाये, एकांत में न किया जाये। " और यह खबर सम्राट तक पहुंच गयी। सम्राट भी भक्त था उसने कहा कि यह अनाचार हो रहा हैहैहो हम अंधों की आंखें क्षुद्र चीजों को ही देख पाती ही इस गुरू की ज्योति दिखायी नहीं पड़ती। गुरू की महिमा दिखाई नहीं पड़ती। गुरू में जो बुद्धत्व जन्मा है श "
सम्राट को भी संदेह हुआ। सम्राट भी शिष्य था। उसने कहा, इसका तो पता लगाना होगा। " अन्यथा छिपने की क्या जरूरत है? द्वार बंद करने का सवाल ही क्या है? भिक्षु के भिक्षापात्र को छिपाने का कोई प्रयोजह ी हम छिपाते तभी हैं, जब हम कुछ गलत करते हैं। स्वभावतः हम सबके नियम यही है। हम गुप्त उसी को रखते हैं, जो गलत है। प्रगट हम उसको करते हैं जो ठीक है। " लेकिन गुरूओं के व्यवहार का हमें कुछ भी पता नहऀंी " " " हमारी जीवन की किताब कोई खुली किताब नहीं हो सकतीी पर हम सोचते है कि गुरू की किताब तो खुली किताब होग
" कभी-कभी अज्ञानी भी धर्म को बचाने की कोशिश में ला जग उनको हमेशा ही खतरा रहता है। सांझ हुई गुरू आया। अपने वस्त्र में चीवर में छिपा कर भोजन लाया। द्वार बन्द किये। " बडे़ हैरान कि गुरू भी अद्भुत था। " सम्राट ने कहा यह तो बर्दाश्त के बाहर है। यह आदमी तो बहुत ही चालाक है। "
" गुरू ने अपना चीवर फिर से पात्र पर डाल दिया। " गुरू ने कहा कि नहीं आपके देखने योग्य नही है। तब तो सम्राट और संदिग्ध हो गया। " " "
अब सम्राट मुश्किल में पड़ गया। रात सर्द थी लेकिन माथे पर पसीना आ गया। उसने कहा इसको छिपा कर खाने की क्या जरूरत है? गुरू ने कहा क्या तुम सोचते हो गलत को ही छिपाया जा जा जा? सही को भी छिपाना पड़ता है। तुम गलत को छिपाते हो यह हममें और तुममें फर्क है। तुम गलत को गुप्त रखते हो, हम सही को गुप्त रखते हैे " " इस आश्राम को मैं छोड़ रहा हूं। अब तुम संभालों और जो मर्यादा बनाते हैं वे संभाले " कैसे तुम उस नींद से उठोगे यह कह कर गुरू वहां से ा यय
" " " " जिससे तुम उस विराट, उस ब्रह्मा से साक्षात्कार कर कर " मेरी आंखों के नीचे तुम एक हो जाओगे। गुरू कुछ करेगा नहीं। इसलिये तुम्हें गुरू के पास रहने होगा। तुम्हारा मेरे पास होना काफी है। "
जब भी गुरू तुम्हें बुलाये श्यामा तो तुम भूल जाना संदेह को और श्रद्धा से कह देना जी, और गुरू बार-बार बुलाये तो भी तुम बार-बार उत्तर देना जी, बार-बार सावधान होना क्योंकि गुरू की पानी जैसी चोट तुम्हारी नींद रूपी चट्टान को आज नहीं तो कल तोड़ देगी। " मैं तुम्हें ऐसा ही आशीर्वाद देता हूं।
Seine Heiligkeit der Sadhgurudev
Herr Kailash Shrimali
Es ist obligatorisch zu erhalten Guru Diksha von Revered Gurudev, bevor er Sadhana ausführt oder einen anderen Diksha nimmt. Kontaktieren Sie bitte Kailash Siddhashram, Jodhpur bis E-Mail , Whatsapp, Telefon or Anfrage abschicken um geweihtes und Mantra-geheiligtes Sadhana-Material und weitere Anleitung zu erhalten,