" हृदय, प्ेम एवं आत्मा का निवास स्थान है, इसलिये यह प्ेम एवं आत्मा की भाषा है।।। " अन्तरात्मा की कहानी है।
" " मौन अस्तित्व की भाषा है अन अन्तत्मन का स्वव संगीत है है जो मन के विस विस विस विस ही उपलब उपलब्ध होता है है है है है। के के विस विस विस विस विस स स उपलब होत है है। के के के के विस विस सा संगीत होत है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मन के विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस के।।।।।।।।। मौन आत्मा का सुवास है, यह ोयें ोयें-ोयें को तृप्त क दिग-दिगन्त तक लगती लगती है।।।
" अन्तर्मन ही हमारा यानी आत्मा का स्वभाव है। "
" यह घटना मनुष्य के अन्तरात्मा को रूपान्तरित कर दर दर जीवन को समग्रता प्रदान करती है। " उसके विचार, उसका चिन्तन, उसकी धाण शक्ति में अलग त त त की चमक आ जाती है।। "
जब मन नहीं होता है तो अमन अर्थात् शांति का भाव हो का भाव हो हो . " " मिटाना ही होता है। जहां मन की अशांति एवं अशुद्धियाँ जल जाती हैं। सोना कुन्दन बन जाता है।
" " " यह मौन नहीं है। " " "
ध्यान, स्वास्थ्य एवं समग्रता की भाषा है-मौन। बैठें, सोयें, शशश की प्त्येक गतिविधि प्ति होश लायें।। शβ का हिलना-डुलना, कक बदलना यानि शशी की विविध गतिविधियाँ शशी के वाचाल होने लका लक्षण है।।।। के केाचाल शशश की इस भाषा यानि ह गतिविधि के प्ति जितना होश खेंगे खेंगे श श उतन उतन उतन मौन में उते उते उते श्वास सेतु है श श मन तथा चेतन मध मध्य।।।।।। है है है है है श मना चेतन मध्य।।।। है है।।।। शice।।।। सेतु है है श मन चेतना मध्व।। सेतु है है श श चेतना मध्व।। सेतु है है श उते चेतनsprechung शsprechung " "
जब. इसी ऊsal इसलिये शास्त्रों में मौन को सर्व श्रेष्ठ माना ह
क्योंकि मौन के माध्यम से हमें जो शक्ति प्राप्त हीऋ ह " " " " "
" आप अनुभव क लगेंगे कि. आदि.
" जाता है। इसलिये हमारे ऋषियों ने कहा है-
अअ्थ- "
. जिससे आप उस मौन.
मौन का स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक पक्ष सबल एवं सामर्थ्यवान तो है ही, बल्कि, राजनैतिक, पर्यावरणीय, सौन्दर्य एवं नैतिक सम्बन ्धोंमें संतुलन रखकर सभी प्रकार के समाधान करने में भी मौन सर्वाधिक सक्षम है।
महात्मा गांधी जी का अमोघ अहिंसात्मक अस्त्र मौना उपवास था, जिसके प र राष्ट्र स्वतन्त्र हुआ।।। हमारी धार्मिक जीवन शैली ही मौन है। " आत्म-अनुशासन की साधना ही मौन है।
"
Schweigen Sie, wann immer es möglich ist.
Sprechen Sie nur so viel wie nötig.
सुबह-शाम एक निश्चित समय निनि्धाित कक क औ उस समय मौन धाण कक क।।
अब.
कभी पेड़, फूल, पौधे, झझ, नदी, समुद्र या झील के किनाे बैठक उनकी उनकी आवाज, उनका संगीत सुनें।।। "
किसी फूल के. "
सत्य को कहा नहीं जा सकता है। सत्य को लिखा नहीं जा सकता है, सत्य को मात्; " उपउपsal युक verursacht
मौन एक आंतरिक यात्रा है। इस यात्रा में कोई संगी-साथी, सम्बन्धी नहीं है। अकेले ही यह लम्बी यात्रा तय करनी पड़ती है। अकेले होने का भय मौन की यात्रा में बाधक बन जाता ह " मौन परमात्मा के साथ होने की यात्रा है।
" ।
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