एकलव्य के नाम से शायद ही कोई भारतीय अपरिचित हो। " ऐसा क्या है, इस नाम में? " "
क्या एकलव्य ने यह स्थान अपनी विद्या के कारण अर्ज? " ये सभी बातें सत्य हैं, किन्तु इन बातों से अधिक महत महतsprechung " "
" " यही काण था, कि अनsprechung
" "
" " किसी अन्य सम्मान की आशा ही कहां और क्यों?
अप्प दीपो भव' यह वाक्य भगवान बुद्ध ने अपने महानिर्वाण के समय अपने प्रिय शिष्य आनन्द से कहा था और वह वाक्य वस्तुतः एक आप्त वाक्य है, जो मात्र ढाई हजार वर्ष पूर्व ही नहीं अनादि काल से अस्तित्व में रहा है। भगवान बुद्ध ने उसकी केवल समयानुसार प्रस्तुति की भगवान बुद्ध के गमन के समय जब आनन्द ने पूछा- भगवन! अब हमें कौन ज्ञान देगा? " क्या आप द्वारा प्रदत्त ज्ञान आधा-अधूरा ही रहा या?
" " "
प्रश्न यह उठता है, कि व्यक्ति स्वयं का दीपक कैसे े ६? " " गुगु का सार पiment यह प्रकाश अपनी ही आत्मा का प्रकाश होता है। जब हम थक जाते हैं, जीवन के द्वन्द्वों में हताश हो जाते हैं, कुप्रवृत्तियों का समाजव्यापी विष आकर हमारी चेतना को दग्ध कर जाता है, तब यही प्रकाश कहीं बाहर से न आकर हमारे अंदर से उद्भूत होता है और आगे का मार्ग प्रशस्त करता है।
यह प्रकाश अमृत स्वरूप है। जब संघर्ष हमारी सारी चेतना का हरण कर लेते हैं, जब हृदय हताश और मृतप्राय हो जाता है, जब हमारे हृदय की सारी श्रेष्ठ भावनायें मृत हो जाती है, जब जीवन से माधुर्य चला जाता है, जब हम अशक्त, दुर्बल और स्वयं को पापी मानने " "
" " , निराश बैठे रहने से श्रेष्ठ है। पीड़ा तो प्रत्येक कार्य में है। " " "
" प्रकाश का यह गुण होता है, कि वह स्वयं के लिये नह ीं बिना इस प्ककाश के, बिना आत्मचेतना की निsal
बिना आत्मज्ञान के तो तो समाधि का कोई अsal है है न कुण्डलिनी जाग का। " " और ऐसी ही अपने शरीर की सैकड़ो ज्ञात-अज्ञात क्रियाओं के कारण ही हम जीवित रहते हैं, तो यही बात अध्यात्म के क्षेत्र में भी सत्य क्यों नहीं होगी जीवन की इस अवस्था तक आने के लिये सतत् प्रयासशील रहना पड़ता हैं।
Manche erreichen diese Stufe durch Diksha, manche durch Shaktipat, manche durch Gefühle, manche durch Dienen und manche durch die Gnade von Gurudev. Aus diesem Grund sollte der Suchende immer mehr in die Gesellschaft des Gurus kommen. wird beschrieben.
यह.
--औऔ प प्काश में खोक जीवन जीवन प प शांति औ सामाधिगत अवस्था भी निहित हैं।।।।। सामाधिगत
Shobha Shrimali
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