" इसका परिणाम है नये-नये "
" के व्यंजन खाते रहते हैं।
" -नये तरीके खोजे जा रहे हैं।
हमारा आहार ऐसा होना चाहिए जिससे हम बीमार ही ना हों, बार-बार डॉक्टर के पास जाने की नौबत ही न आए, अस्पतालों में भी यह होना चाहिए कि रोगों के उपचार के साथ- साथ लोगों के स्वास्थ्य तथा खान-पान के बारे में भी " आहार की आवश्यकता क्यों?
" तत्व, प्रोटीन आदि उसमें विद्यमान हों।
" भोजन से बचे अवशिष अवशिष्ट पदा nächsten देने के बजाय शरीर की शक्ति को क्षीण करेगा।
अतः जो भी आहार आप खाएं, वह भली प्रकार से सुपाच्य हों, तभी शरीर के अंग पुष्ट होंगे, नया रक्त बनेगा, शरीर को शक्ति मिलेगी, शरीर के अंदर और बाहर के अंगों का कार्य व्यवस्थित रूप से होगा इसी के फलस्वरूप जीवन में स्वस्थ क्रियायें कर सकेंगे। " कई रोग पैदा होंगे।
" ले जितना पच जाए तो लोग निरोगमय रह सकते हैं।
" " आटे के चोक चोक चोक दालों के में में बहुतायत से पाएं जाते हैं।।।
" के फलस्वव शीघ्तता से कृषकाय, जर्जरता युक्त वृद्धा अवस्था नहीं आती।
मौसम के अनुसार जो साग-सब्जियां और फल मिलते हैं, उनमें विटामिन तथा खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, इन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार अवश्य खाना चाहिए, थोड़ी कच्ची चीजें सलाद के रूप में प्रतिदिन अवश्य खानी चाहिए, दालें छिलके सहित खानी चाहिए , इस प्कार के आहार पप थोड़् धान देक हम सदैव स्वस्थ ह सकते है।।।।। हम सदैव स सsprechung
सदैव स्वस्थ जीवन बिताने के लिए हमें भोजन संबंधी कुछ खास बातों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि भोजन यानी आहार ही स्वास्थ्य का आधार है, भोजन संबंधी गड़बड़ी से ही रोग उत्पन्न होते हैं, अतः भोजन संबंधित निम्न बातों पर ध्यान देकर अपने स्वास्थ्य की रक्षा करें .
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