ब" व आकाश को ठोकर मारने की क्षमता हो।
मोह, माया, आलस, काम क्रोध यह जीवन के बन्धन ही तो है, जिनकी वजह से हम अपने जीवन मे कुछ कर नहीं पाते, मनुष्य जीवन में वह आनन्द प्राप्त नहीं कर सकता, जो कि हमारे जीवन का आधार होता है, जीवन की वह " " " " सन्मार्ग की प्राप्ति हेतु हम चाहे कितने भी ग्रंथ, महाकाव्य पढ़ लें पर हम उसमें से कौन सा मार्ग सही है और गलत हैं, इसका विवेचन करने की ऊर्जा नहीं है और यदि विवेचन कर भी लेते हैं तो अपने आपको यथास्थिति से परिवर्तन करने का ज्ञान ही नहीं है।
" " " " " " तुम्हें इस नाव को चलाने का ज्ञान नहीं है। "
" " " " " बन्धनों को ठोकर मारने की हिम्मत नहीं थी।
" कहा गया है, इसलिए जीवन में गुरू का होना बहुत जरीह र "
" " " " निगल जाएगा।
" अपनी-अपनी नावें संभालने में लगे हुए है, सभी की आंखों में भय-डर भरा हुआ है, और मुंह में खारा पानी चले जाने की वजह से उनके जीवन का स्वाद कसैला हो गया हैं। " है, और तुम्हारे चेहरे पर मुस्कुराहट दिख रहीं है, क्योंकि तुम्हारे जीवन में जीवित जाग्रत गुरू है, जो तुम्हारे साथ हमेशा तुम्हारा हाथ पकड़ें हुए खड़ा हैं, जो तुम्हारे जीवन को डूबने नहीं देगा, किन्तु मनुष्य थोड़े से ज्ञान से इस अहंकार से ग्रस्त रहता है, कभी उसने जीवन ूपी ूपी बन्धनों से क क गु गु की ही नहीं की की कभी कभी गु उनके घ के प प से य उनके उनके ही ही ही नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं म म म म म नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं म म नहीं मogr. म म म म म मogr. म म म मogr. म म म म मogr. म म म मogr. म म मogr. म म मogr. म म म मschieden " करता है।
" हैं, अपने शब्दों के माध्यम से, अपनी बातों से ही उन उन्हें यह पता चला की आपके पास ज्ञान ूपी सद्गु है जो ह पल पल ह क क क क क क कspreches कककक कोकक को को को को को को को को को को कोककककक को को को को कोकककककक कोककक को को को को को को को को को को को को को कोककक को को को को को को कोककक को को को को को को क क क क क क क क क क क क क क क क क कspreches ष क क ककक को को को को क क क क क क क क क क क क क क क कanis " "
" " है, यह उनके लिए आश्चर्य की बात है, और होनी भी चाहिए, पर तुम भी कभी-कभी भय से ग्रस्त हो जाते हो, किन्तु इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गुरू तुम्हारे साथ है, दृश्य रूप में भी अदृश्य रूप में भी तुम्हारी नाव और समस्याओं के बीच गुरू खड़े हैं, और घनघोर अंधेरे में तुम्हारे लिए दीप-स्तम्भ की तरह हैं, जिससे कि तुम्हारी नाव इसी जीवन में लक्ष्य तक पहुंच सकें, जो तुम्हारी पीढि़यां, रिश्तेदार नहीं कर पाए वह तुम्हें कर के दिखाना हैं , जो तुम्हारी पीढि़यां किनारे पर नहीं पहुंच पाई वे उस हरियाली उस आनन्द को नहीं देख पाई जो जीवन की निधि है, जो जीवन की श्रेष्ठता है, पर तुम कर सकते हो मस्ती के आनन्द के साथ हिम्मत और हौसले के साथ जीवन रूपी नाव को लक्ष्य " तुम्हाे पास जाग्त गुगु है है जिनके बतायें हुए मार्ग प चल क क नव नि नि नि।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। "
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