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" यदि सूर्य न हो, तो इस पृथ्वी पर प्रकृति का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि सूर्य के प्रकाश से ही सम्पूर्ण धारा आलोकित है, जिसके प्रकाश में व्यक्ति के जीवन से अंधकार को समाप्त कर उसे नवीन चेतना, जागृति से भर देने की क्षमता है। "
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बडे़-बड़े तांत्रिक व मांत्रिक भी ऐसे ही क्षणों की प्रतीक्षा में टकटकी लगाये बैठे रहते हैं, क्योंकि उन्हें उसके द्विगुणित पफ़ल प्राप्ति का ज्ञान पहले से ही होता है और साधरण मानव इस बात से अपरिचित रह जाने के कारण ऐसे विशेष क्षणों को व्यर्थ ही गंवा बैठता है। सामान्य गृहस्थ के जीवन में समस्यायें व कठिनाइयां अधिक होती हैं हैं।।।।।। कठिन कठिनाइयां
" साथ ही उन तेजसure
शास्त्ों में ऐसे अनेक उदाह हैं, जब महापु ने ग्हण काल की महत्ता का प्माण दिया।। " " "
अतः जीवन का यह प्रथम उदेश्य एवं कर्तव्य है, कि अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये चाहे कितनी ही साधनायें क्यों न करनी पड़े, कितनी ही बार प्रयत्न क्यों न करना पड़े अपने लक्ष्य को अवश्य ही प्राप्त करना है और एक लक्ष्य "
जीवन में दुख, संकट, परेशानियां, बाधाएं, रोग, पीड़ा तो आयेगी ही, इन स्थितियों के बीच साधना को सम्पन्न करने से ही सिद्धि एवं सफ़लता के द्वार खोल सकते है और जब एक सफ़लता का द्वार खुलता जाता है, तो इतना अधिक उत्साह आता " "
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भगवान शिव का शक्ति से संयुक्त स्वव अत्यधिक चैतन्यता औऔ दिव्यता से युक्त है।।। शिव-शक्ति की संयुक्त कृपा से ही साधक को किसी साधना में सफ़लता प्रप्त होती है।।।।। पा प्राप्त होती है।।। सफ़लता पा प्र्त होती है।। में मेंा पा प है है।।। में मेंा प्राप होती है है।।। में सफ़लता प्र्त होती है।।।। में सफ़लता ही स होती है है।।।।।। मेंा ही स स है है।।।।। में मेंा ही स स है।।। magधन। स सika। मेंा ही ही हीika होती स साधना शिव-शक्ति की चेतना से ओत-प्ोत होक ही साधक पति-पत्नी की आआोग्यमय, दीदीsal घायु, आध्यात्मिक उन्नति, महाविद्यय आदि साओं सफ़लत पा प्त्त ककककककककककककककellt " साधना सम्पन्न कक साधक विशिष्टता को missbraucht
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मंत्र जप समाप्ति के पश्चात यंत्र को पूजा स्थान में्थापित क क व अन्य सामग्ी को किसी पवित्र जल में विस विसविसogr.
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इस साधना के माध्यम से व्यक्ति अपनी निर्बलता व शक्तिहीनता को समाप्त कर सकते है, और ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है, शक्तिहीन को शक्तिशाली बनने में कोई बुराई नहीं है, यह तो उन्हें आन्तरिक शक्ति प्रदान करने का एक अस्त्र है, जिससे वह अपनी " " " " "
सूर्य ग्रहण या किसी भी मंगलवार को साधक स्नान आदि से निवृत होकर पीली धोती पहिन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाये और तांत्रेक्त शत्रु मर्दन यंत्र और गुटिका को किसी पात्र में स्थापित कर दीपक और धूप जलाकर संक्षिप्त पूजन सम्पन्न करें। "
मंत्र जप पूरा होने पर सामग्री को गोपनीय ि "
Niemand kann die Unvermeidlichkeit leugnen, im Leben kontinuierlich Geld zu bekommen. Geld ist eine wichtige Sache im heutigen Leben, für die ein Mensch in jeder Situation ständig kämpft. Außerdem brauchen wir göttliches Bewusstsein, um kontinuierlich Geld zu bekommen. Man sollte es nehmen die Unterstützung spiritueller Praktiken, weil das Bewusstsein spiritueller Kraft jene Hindernisse von unserem Weg entfernt, aufgrund derer der Fortschritt des Lebens aufgrund von Hindernissen auf dem Weg des Geldes zum Stillstand kommt und sich oft in Form von Geldmangel abzeichnet Leben.
" इस साधना से निरंतर धन प्राप्ति का मार्ग बना रहता है और धन लाभ में वृद्धि होती है, साथ ही साथ लक्ष्मी स्थिर रूप से जीवन में विद्यमान रहती है, इस साधना के माध्यम से व्यापार वृद्धि, कार्य सिद्धि, प्रमोशन में सपफ़लता मिलती है।
सूर्य ग्रहण पर्व पर या किसी भी बुधवार को स्नानादि से निवृत होकर अपने साधना कक्ष में बैठ जायें, अपने सामने लाल वस्त्र बिछाकर उस पर केसर से स्वस्तिक बना लें तथा कुंकुम से तिलक कर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित कर दें, यंत्र के दाहिनी ओर निरन्तर "
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" " अष्ट लक्ष्मी का रहस्य केवल यही तक सीमित नहीं हैी अष्ट लक्ष्मी अपने-आप में आठ प्रकार के ऐश्वर्य को तो समाहित करती ही है, साथ ही ये लक्ष्मी के आठ अत्यन्त प्रखर स्वरूपों- द्विभुजा लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, महालक्ष्मी, श्री देवी, वीर लक्ष्मी, द्विभुजा वीर लक्ष्मी, अष्ट भुजा वीर लक्ष्मी एवं "
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