एक बार जब विश्वामित्र, भगवान राम व लक्ष्मण को धनुर्विद्या का ज्ञान दे रहे थे, तब उन्होंने उन दोनों राजपुत्रें को सर्वप्रथम काल (क्षण) का ज्ञान कराया, क्योंकि किसी भी कार्य की पूर्णता काल ज्ञान के बिना असम्भव है। "
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उन्होंने पiment "
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" तीसरा चांदी की तरह बना था, चौथा पत्ता ताम्र वर्ण का बना और अन्तिम सातवां पत्ता बिलकुल वैसा ही था, जैसा पहले था।
तब विश्वामित्र ने लक्ष्मण से पूछा तुम्हें बाण को छोड़ने औ औ ब बाण से सातों पत्तो को में में कितना समय लगा? उसने कहा मुश्किल से क्षणार्द्ध एक क्षण का भी आधधत फिर विश्वामित्र ने लक्ष्मण को समझाते हुये कहा क्षण विशेष की कितनी अधिक महत्ता है, कि पहला पत्ता स्वर्ण का बन गया और सातवां पत्ता वही ताड़ का पत्ता ही रहा, या तो सातों पत्ते स्वर्ण के ही बन जाते या फिर सातों पत्ते ताड़ के ही बने "
जीवन की सार्थकता विशेष क्षणों में ही छुपी है। "
धन के बिना यह जीवन अपूर्ण है। आज. आज के इस परिवर्तनशील युग में किसी ऐसे सक्षम उपाय की आवश्यकता प्रत्येक गृहस्थ व संन्यासी को पड़ती है, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण कर जीवन की प्रत्येक समस्या से मुक्ति पा सकें, इसीलिये देवराज इन्द्र ने इस महत्वपूर्ण साधना को धन त्रयोदशी के दिन संपन्न कर अपने राज्य में धन की वर्षा की।
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Es wäre günstig, diese Sadhna am 13. November, dem Dhan Trayodashi Pradosh Shakti-Tag, Freitagabend zwischen 05:00 und 06:39 Uhr abzuschließen. Wenn Sie sie an diesem Tag nicht machen können, können Sie sie an jedem Montag machen.
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ॐ अस्य श्री महालक्ष्मी कवच मंत्रस्य ब्रह्मा िः,
गायत्ी छन्दः, श्ी महालक्ष्मीः देवता, श्ी महालक्ष्मी प्ीतये पाठे विनियोगः।।।
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इस कवच का 5 पाठ कर दक्षिणा चढ़ायें। कुबेर वैभव मंत्र का धनत्रयोदशी माला से 5 माला कर ूर ूर
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