नवनवात्ि का विशेष पप्व अपने भीत से अज्ञानता, दोष, कमियां बाह क अपने भीत शकभीत शकशक भभ का पप्व है।।।। शकभीत शक्ति " शक्ति ही अपने भिन्न-भिन्न स्वव में विद्यमान होकाधक के कार्य सम्पन्न कक है।।। क कार्य
" " भवन.
प्रत्येक मनुष्य बहुआयामी होता है। इस जीवन में विभिन विभिन्न पiment जहां जीवन में सुख है, तो दुःख भी है. जीवन में पीड़ा हैं, तो आनन्द भी है। ये सा nächsten "
" परन्तु केवल ज्ञान शक्ति ही भगवती महासरस्वती की परिभाषा नहीं है, महासरस्वती तो पोषण और वर्धन की अधिष्ठात्री हैं, परम पिता ब्रह्मा इन्हीं के द्वारा सृष्टि की रचना करते हैं, यही वह चेतना है, जिसके द्वारा संसार में निरन्तर वर्धन होता है और मातृ शक्ति का स्वरूप ही शीतल, कोमल, वातस्लयमय व पोषण-वर्धन स्वरूप में होता है, मां सरस्वती इसी शक्ति की अधिष्ठात्री हैं, जो प्रत्येक दशा में अपने भक्तों पर वरमुद्रा बनायें रखती हैं, यही वरदायिनी शक्ति हैं, इन्हों से सारे संसार को वर्धन की चेतना प्राप्त "
नवरात्रि और बसंत पंचमी के चेतनावान क्षणों में चिन्तन कर्म ज्ञान शक्ति स्वरूपा महासरस्वती के वरमुद्रा की चेतना से आप्लावित होकर अपने जीवन में पोषण, वर्धन की क्रियात्मक शक्ति से युक्त होकर जीवन की विसंगतियों पर विजय प्राप्त करने की ऊर्जा स्व: आत्म शक्ति पराम्बा वरदायिनी शक्तिपात दीक्षा से प्राप्त कर सकेंगे। " "
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