" उसके जीवन में आ रही हर प्रकार की बाधाओं का शमन हो होहा तंत्र बाधाओं के निsal
" दस महाविद्याओं में त त Entwickel " "
" से उनका स्वरूप अत्यन्त उग्र व प्रचण्ड हो गया, जिसे देखकर भगवान शिव भागने लगे, तब अपने ही शरीर से सती ने दस महाविद्याओं का प्रस्फुटन किया, जिन्होंने शिव को दस अलग-अलग दिशाओं में मार्ग अवरूद्ध कर भागने से रोका। " "
पंचमी विद्या भगवती छिन्नमस्ता का सम्बन्ध 'महाप्लय' से है है जबकि त्िपुिपु भैभै का सम्बन्ध 'नित्य प्लय' से है।।।।। समाबन्ध 'नित्य प्लय' प्रत्येक पदार्थ प्रतिक्षण नष्ट होता रहता है। " "
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रक्तालिप्त पयोधरां जप पटीं विद्यामभीति वरम् ।
हसsprechend
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" वे रक्त वर्ण के रेशमी वस्त्र धारण किये हुए हैं। " " रक्त-कमल जैसी शोभा वाले उनके तीन नेत्र हैं। "
" " " हॉस्पिटल तक पहुंचते-पहुंचते मैं लगभग बेहोश ही ही ही ही ही ही " " " "
" " "
" " समझ नहीं आ रहा था कि ये सब कैसे हो रहा है?
" मैं कुछ चिड़चिड़ा सा भी हो गया था। "
मेरे बेटे का कारोबार भी दिन-प्रतिदिन गिरता ही जिरता ह। जा " हमार हंसता-खेलता पपार देखते-देखते ही उदास औऔ समय समय नी नी नी हने वाले पपार में गय गया। धीरे-धीरे मेरे मित्र भी मुझसे कटने लगे।
" यों. शिविशिवि पत पत्िकिका प्राप्त की औ पूज्य गु जी से मिल मिला औ मैंने स साी समस्या गुगु को ज्यों की त्यों बय की औ अपने की की ह ह हा का ववogr. " " तभी पूज्य गुगु की गम्भी वाणी गूंजी- ठीक किया जो तू यहां चला आया, अब सब ठीक हो जाएगा। "
" " " " " पाठकों के लाभ के लिये वही वही साधना विधि यहां लिख ह ह ह हूं हूं।। ये साधना वास्तव में तीनों लोकों के शत्रुओं का संहार करने में सक्षम है तथा बड़े से बड़ा तंत्र प्रयोग इसके माध्यम से दूर हो ही जाता है, ये मेरा अनुभव है, मेरे लिए तो ये साधना पूज्य गुरूदेवजी का प्रदान किया हुआ वरदान ही है।
Tripura Bhairavi Sadhana Vidhaan
इस साधना में आवश्यक सामग्ी त्िपुिपु भैभै यंत्र, त्िपुिपु शक्ति माला, त्िशक्ति गुटिका है है।।।।। मालला "
" पीली धोती, पीला वस्त्र धारण करें। गुरू पीताम्बर अवश्य ओढ़ लें और अपने सामने चौकी पर पीला वस्त्र बिछा लें, उस पर त्रिपुर भैरवी यंत्र और त्रिशक्ति गुटिका स्थापित कर, यंत्र पर कुंकुम की तीन बिन्दियां लगाएं संक्षिप्त गुरू/गणेश पूजन कर फिर धूप व दीप लगायें, दीप घी का ही होना चाहिए।
Aneignung
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Keelkam Maha Abhisht Siddhiye Jape Viniyog.
Karanyas
हसहसां अंगुष्ठाभ्यां नमः।। हसहस तत्जनीभ्यां नमः।। हसंहसंहसं हसं हसं हसं हसं हसं हसं हसं हसं हसं हसं हसं तत्जनीभ्यां
मध्यमाभ्यां नमः।, हसरै अनामिकाभ्यां नमः।, हसंररमः।
Sprache
Hridayadi Shandganyas
Hasran Hridayay Namah, Hasanri Shirse Namah.,
Hasnru Shikhaye Vashat. Husrai Kavachay Hu, Husnrau Netrayay
Vausht., Hasnr: Astray Phat.
ध्यान.
निम्न ध्यान मंत्र से भगवती त्रिपुर भैरवी का का ध्य
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रक्तालिप्त पयोधरां जप पटीं विद्यामभीति वरम् ।
हसsprechend
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ध्यान के पश्चात् त्िपुिपु शक्ति माला से निम्न मंत्र की 21 माला जप ककक-
जप समाप्ति के बाद दूध से बना भोग लगाये। "
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