गुरू गोरखनाथ इस पर्व पर अद्वितीय साधना सम्पन् न कर उच्च कोटि के सिद्ध पुरूष और सरस्वती के वरद पुत्र कहलाये, उसी गोपनीय साधना को आगामी पंक्ति यों में स्पष्ट किया जा रहा है।
" " सामान्य धारणा केवल इतनी भर ही रह गई है कि सरस्वती को पढ़ने लिखने वाले बालक-बालिकाओं द्वारा ही पूजा जाना चाहिये, जबकि सरस्वती तो ज्ञान की देवी है और ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है, चाहे वह किसी भी उम्र का हो। " " "
यदि व्यक्ति को आत्म ज्ञान की उपलब्धि हो जाये, तो उसे अपने अन्दर से ही प्रश्नों के उत्तर प्राप्त होते रहते हैं, फिर उसे कहीं भटकने की आवश्यकता भी नहीं होती, उसके अन्तः में स्थित आत्मस्थ गुरू द्वारा ही उसे मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है और गुरू की इसी ज्ञान शक्ति को वाग्देवी सरस्वती कहते हैंी "
'गोरक्ष संहिता' में एक अत्यंत गोपनीय प्रयोग प्रकाशित है, जिसमें बताया गया है कि सर्वथा निरक्षर गोरखनाथ को उनके गुरू ने किस प्रकार इस वसंत पंचमी पर्व पर विशेष साधना के द्वारा उनके कण्ठ और उनकी जीभ पर सरस्वती को स्थापित किया, जिसकी वजह से उन्हें सभी वेद, उपनिषद कण्ठस्थ हो सके, वे श्रेष्ठतम प्रवचन देने में समर्थ हो सके और पूरे संसार में गुरू गोरखनाथ के नाम से प्रसिद्ध हो सके।
Vorteile von Sadhana
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ऐसे व्यक्ति को हजारों श्लोक और मंत्र आसानी से कण्ठस्थ हो जाते हैं, घर के बालकों को यह प्रयोग स म्पन्न कराने से उनका ध्यान पढ़ाई में लगता है, वह जो भी पढ़ता है, उसे स्मरण रहता है और परीक्षा में श्रेष्ठ अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण हो पाता है।
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" इस साधना के द्वारा व्यक्ति के गले में मिठास आ जाती है, उसके कण्ठ में माधुर्य आ जाता है, जिससे स्वयं उसमें तथा उसके सम्पर्क में आने वाले सभी लोगों में भी आनन्द, प्रेम और उल्लास का प्रवाह बना रहता है।
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जीवन में जब भी. कौन सा मार्ग उचित रहेगा? कौन सा शेयर को खरीदने से लाभ प्राप्त होगा? कौन सा व्यवसाय हमारे लिए उचित रहेगा? कौन सी साधना हमारे लिये अनुकूल सिद्ध होगी? किसी भी परिस्थिति अथवा दुर्घटना के पीछे क्या का का का? " "
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Sadhana Vidhaan
" " यदि संभव हो तो सामने सरस्वती का चित्र स्थापित कर " यदिऐसा संभव ना हो सके तो तांबे का भी प्रयोग कर सक इसके बाद अष्टगंध से निम्न यंत्र को थाली में अंकि "
" " " दूध का बना प्रसाद अर्पित करें। "
" " । हर बार लिखने से पूर्व शलाका को धो अवश्य लें।
ुहूुहूर्त.
बालक-बालिकाओं आदि की जीभ पर सरस्वती बीज मंत्र अंकित करने का तथा सरस्वती यंत्र (सफेद रेशमी धागे में पिरोकर) धारण कराने का सिद्धतम मुहूर्त वसंत पंचमी के दिन प्रातः 05:22 AM से 06:06 AM तक और दिवा 10:30 AM से 12:24 Uhr Montag 03:36 Uhr 05:12 Uhr यदि इस दिन यह न हो सके तो किसी.
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