संतुलित जीवन की कोई बंधी बंधायी परिभाषा नहीं हैी शास्त्ें में यह बताया गया है, कि जिससे जीवन सुखमय हो सके सके जिससे भी में आनन आनन्द प्र्त हो सके औ औ औ औ औ औ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। मे पू पूsal णत, वह संतुलित है।।।।।।।। जीवन पू पूsal प, वह संतुलित है।।।।।।।।।। औ औ औ औ जिससे. मे पू पू पू पू आ आ " " इस जीवन. योगी वशिष्ठ के अनुसार संतुलित के निम निम्न चौदह्र हैं।।।
1- सुन्द, ोग हित स्वस्थ देह।।, 2- पू~ आयु प्राप्ति।, 3- मन प प्सनografen और उन्नति से युक्त पुत्र-पुत्रियां।, 4- शत्रु रहित सम्पूर्ण जीवन।, 5- राज्य में सम्मान और निरन्तर उन्नति।, 6- निरन्तर व्यापार वृद्धि और आर्थिक दृष्टि से सम्पन्नता।, 7- तीर्थ यात्राएं, व्रत, उद्यापन, मन्दिर निर्माण और समाजिक कार्य।, 8- शुभ एवं श्रेष्ठ कार्यों में व्यय।, 9- वृद्धावस्था का निवारण और चिरकालीन पौरूष प्राप्ति।, 10-अपने जीवन में गुरू और इष्ट से साक्षात्कार।, 11- मृत्यु के उपरान्त सद्गति और पूर्ण मोक्ष प्राप्ति।
पू? " " से दू हो जाते हैं औ वह वह ही दिनों में संतुलित प पsprechung ऐसी ही साधना को 'शाकम्भरी साधना' कहा गया है।
" हो और किसी प्रकार की कोई न्यूनता न रहे। सप्तशती में जहां शाकम्भरी देवी का वर्णन किया है, वहां स्पष्ट रूप से उल्लेख आया है कि भले ही मैं भगवती दुर्गा के अन्य रूपों का स्मरण न करूं, भले ही मुझे आराधना, साधना या पूजन विधि का ज्ञान न हो, भले ही मैं पवित्रता के साथ मंत्र उच्चारण न कर सकूं, परन्तु मेरे जीवन पर भगवती शाकम्भरी सदैव ही पूर्ण कृपा दृष्टि बनाये रखें, जिससे की मैं इस जीवन में ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरूषार्थों की प्राप्ति करता हुआ, समाज में सम्मान और यश अर्जित करता हुआ पूर्ण सफलता प्राप्त कर सकूं।
" " हमारी शक्ति का बहुत बड़ा हिस्सा इस प्रकार की समस्याओं के निराकरण में और झूंझने में व्यतीत हो जाता है, हम अपने जीवन में जो कुछ नूतन सृजन करना चाहते हैं, वह नहीं कर पाते और एक प्रकार से सारा जीवन हाय-तौबा, आशा निराशा और "
" का एक बहुत बड़ा हिस्सा खो देता है।
शाकम्भरी ही शिव परिवार से युक्त हैं। " " ऐसा ही हमारा परिवार बन सके जिससे की हमारा जीवन संतुलित रह सके यों तो यह साधना वर्ष में किसी भी शुक्रवार को सम्पन्न की जा सकती है, परन्तु यदि शाकम्भरी पूर्णिमा के अवसर पर इस साधना को सम्पन्न किया जाये तो निश्चय ही हमारें जीवन में जो कमियां हैं, वे दू हो पाती हैं औ औ हम दृष दृष्टियों से के के प प अग अग्सस हो हैं औ जीवन में में पू पू पू पू पू पू।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू पू " वास्तव में यह साधना मानव जाति के लिए वरदान स्वर ूू
साधक इस दिन प्रातः उठ कर स्नान कर धोती धारण करे, स्त्री साधिका हो तो पीली साड़ी पहिने फिर पूजा स्थान में या पवित्र स्थान पर बैठ जाये और सामने एक लकड़ी का बाजोट रख कर उस पर पीला रेशमी वस्त्र बिछा दें और उस पर अत्यन्त दुर्लभ और महत्वपूर्ण 'शाकम्भरी महायंत्र' को स्थापित करथंेंी शास्त्ें में शाकम्भ यंत्र को बनाने की विशेष विधि बताई है।।।।। विशेष विशेष विधि विधि विधि बत बताई सामान्य ूप से इस प्कार के्र का प्रा weil
साथ ही साथ इसमें वह 108 महादेवियों की स्थापना विशेष विधान के साथ उस यंत्र में स्थापित करें ताकि यह यंत्र सभी दृष्टियों से पूर्ण सौभाग्यशाली बन सके, यही शाकम्भरी महायंत्र का रहस्य हैं, तत्पश्चात इसमें मार्कण्डेय ऋषि प्रणीत प्राण प्रतिष्ठा साधना सम्पन्न की जाती है। " साथ ही साधक हाथ जोड़कfluss
श्द्धापू) " "
शाकम्भभ मंत्र जीवन का श्ेष्ठतम मंत्र औ्भभावशाली मंत्र कहा गया है। "
मंत्र जप से पूर्व साधक हाथ में जल लेकर संकल्प करे कि मैं आज शाकम्भरी पूर्णिमा के अवसर पर शाकम्भरी देवी की पूजा करता हुआ भगवती शाकम्भरी के यंत्र को अपने घर में स्थापित करता हुआ, भगवती शाकम्भरी को अपने शरीर में समाहित करता हुआ, इच्छाओं की प्राप्ति " जल जमीन पर छोड़ दें।
" " , बाधा अपने आप दू होने लगती है या उसका कोई कोई हल प्राप्त हो जाता है।।।।। प प पsprechung
"
" " "
Es ist obligatorisch zu erhalten Guru Diksha von Revered Gurudev, bevor er Sadhana ausführt oder einen anderen Diksha nimmt. Kontaktieren Sie bitte Kailash Siddhashram, Jodhpur bis E-Mail , Whatsapp, Telefon or Anfrage abschicken um geweihtes und Mantra-geheiligtes Sadhana-Material und weitere Anleitung zu erhalten,