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महाभारत का युद्ध प्रारम्भ होने जा रहा था। " " पाण्डवों ने श्ीकृष्ण से युद्ध को्राम्भ कक की स्वीकृति मांगी पप्तु कृष्ण ने उन्हें ोक दिया। " कृष्ण ग्रहण के इन सिद्ध क्षणों को समझ रहे थे और निश्चित समय पर जब पाण्डवों ने युद्ध प्रारम्भ किया तो इतिहास साक्षी है, कि एक-एक कर सारे कौरव काल के गर्त में समाते चले गये और पाण्डवों को कुछ भी नहीं हुआ, विजयश्री पाण्डवों के हाथ लगी। "
ऐसा स्वर्णिम ग्रहण-संयोग जीवन में- धन, पद, प्रत िष्ठा, यश, मान-सम्मान, ऐश्वर्य, कुण्डलिनी जागरण श्रेष्ठता, तेजिस्वता और जीवन में वह सब जो चाहते हैं प्रदान करता है, अद्वितीय ग्रह संयोग युक्त स ूर्य ग्रहण पर्व पर की गई साधना कभी निष्फल नहीं होती है।
" ऐसे श्रेष्ठ सूर्य ग्रहण के अवसर पर जीवन आरोग्यमय दीर्घायु, सुसंस्कारमय पुत्र-पुत्रियां, व्यापार-नौकरी, धन लक्ष्मी वृद्धि युक्त निरन्तर सुस्थितियों का विस्तार हो सके इसी हेतु मार्गशीर्ष मास जो कि सर्वश्रेष्ठ रूप में राम जानकी विवाह महोत्सव के रूप में सम्पन्न किया जाता है । ऐसे मास में सांसारिक गृहस्थ साधक जीवन को पुरूषोत्तममय शक्तियों से युक्त करने हेतु पूर्ण जाज्वल्यमान चेतना शक्ति युक्त सूर्यग्रहण महापर्व पर सुस्थितियों की प्राप्ति के लिये तांत्रोक्त तीक्ष्ण महाकाली छिन्नमस्ता पिताम्बरा युक्त त्रिशक्ति साधना, रवि तेजस साधना, सूर्य ग्रहण तेजस्वी तारा साधना सम्पन्न करने से जीवन को "
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तांत्ोक्त तीक्ष्ण त्िशक्ति के ूप में महाकाली, छिन्नमस्ता औऔ बगलामुखी के संयुक्त साधना सूaz सूwirkungen ग्हण काल मेंस्वोत मान गया गय गय है है।।।।।।।। काल " " " "
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॰ Wenn Sie Krankheiten nicht loswerden können.
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इस साधना के लिये आवश्यक सामग्ी है- त्िशक्ति यंत्र, साफल्य माला, तांत्ोक्त श्ी फल।।। " " साफल्य माला को यंत्र के चारों ओर रखें। अगरबत्ती दीपक जलायें। " . संक्षिप्त गुरू पूजन, गुरू 1 माला जप सम्पन ू्ज " "
कुंकुंम और पुष्प से पूजन करें। फिर साफल्य माला से निम्न मंत्र का 3 माला जप सम्पू नक
मंत्र जप के पश्चात् समस्त सामग्ी को बाजोट प बिछे बिछेाल वस्त्र में बांध कक सद्गु चच में में अअपित ककक कक।।। सदसद सदsprechung
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सांसािक व्यक्ति की अपने जीवन में कुछ इच्छायें होती हैं औ वे निम निम्न- हैं-
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शत्रु पर पूर्ण विजय तथा स्वास्थ्यमय उल्लासित थत
कार्य में प्तिष्ठा, सम्मान एवं अपने क्षेत्र, समाज में पूपू्ण ख्याति प्रप्त ककका।
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पूर्ण ऐश्वर्य युक्त जीवन के साथ-साथ आत्म-कल्याणथ
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" " ऐसा करने से उसकी समस्त इच्छायें पूर्ण होती ही है
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साधना समाप्ति के बाद यंत्र व माला को किसी जलाशय अथवा मन्दि में अअ्पित क दें दें।। ऐसा करने से साधना सिद्ध होती है।
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धन की साधना हेतु दस महाविद्याओं में तारा साधना सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है और ऐसा भी कहा जाता है कि तारा महाविद्या सिद्ध होने पर साधक को प्रतिदिन स्वर्ण प्रदान करती है अर्थात यह निश्चित है कि तारा सिद्धि प्राप्त साधक की आय में वृद्धि हो जाती है और उसे "
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इस साधना हेतु तांत्ोक्त तारा यंत्र, ग्हण अभिषेक युक्त तारा अष्टसिद्धि माला, सिद्धिदायक सूसू्य शक्ति जीवट चा चाहिये।।
ग्रहण काल में साधना प्रारम्भ करने से पूर्व स्नान कर शुद्ध पीली धोती धारण कर उत्तराभिमुख बैठ जायें, सिद्धिदायक सूर्य शक्ति जीवट गले में धारण कर तांत्रोक्त तारा यंत्र की पूजा कर बायें हाथ में यंत्र पूर्ण मंत्र जप तक रखे, तारा अष्टसिद्धि माला से सूर्यग्रहण काल में 7 माला जप क सकें तो यथा शीघ्र श्ेष्ठता आनी प्राम्भ हो जाती है।।।।। प पsprechung
" गुरू आरती व समर्पण स्तुति सम्पन्न करे। सभी सामग्री को विशेष महत्वपूर्ण स्थान पर रखे। शीघ्र ही मनोवांछित सफलता की प्राप्ति होती है।
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