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Schulden, Krankheit, Armut und Sünde sind die Gerste der Unsterblichkeit.
Mögen Angst, Kummer und seelische Qualen jederzeit von mir vernichtet werden.
हे महालक्ष्मी! "
आदिकाल से लक्ष्मी मानव जाति के ही नहीं देवताओं के लिये भी व व व व व व व व व व व स स स ही ही ही है।।।।।।। भी भी भी भी भी।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। भी भी भी व व व भी भी भी भी भी व व व व व व व व भी भी भी भी भी भी।।।।. " सतयुग, त्रेतायुग या द्वापर युग, प्रत्येक युग में लक्ष्मी का महत्व लोगों ने स्वीकार किया है समुद्र मंथन के समय जब लक्ष्मी प्रकट हुई तो विष्णु ने लक्ष्मी का ही वरण किया। महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, शंकराचार्य आदि जितने भी ऋषि हुए है, उन्होंने लक्ष्मी की साधना की, एक ही प्रकार से लक्ष्मी साधना नहीं की, अपितु लक्ष्मी के प्रत्येक स्वरूप को साधना के द्वारा प्राप्त किया, क्योंकि लक्ष्मी 108 प्रकार की होती है, जैसे धन लक्ष्मी, यशोलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी, बल लक्ष्मी, सौभाग्य लक्ष्मी आदि, इसीलिये ये ऋषि अद्वितीय और मूर्धन्य बन पाये, इस लेख में चर्चा का मुख्य विषय धन लक्ष्मी है, क्योंकि आज के समाज के लिये यही मुख्य उपास्या लक्ष्मी है।
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" इसके फलसsprechung "
यह स्पष्ट है कि लक्ष्मी से सम्बन्धित साधना व्यक्ति के जीवन की आवश्यक साधना है, लेकिन यह सदैव ध्यान रखना चाहिये कि धन का संग्रह अनैतिक कार्यो के लिये नहीं किया जाये। " धनवान बनना कोई बुरा नहीं है किन्तु धन को पूर्ण सम्मान, मान-मर्यादा शास्त्रीय नियमों के अनुकूल विचारों के द्वारा परिश्रम से प्राप्त करना चाहिये, कई बार अत्यधिक परिश्रम के बाद भी हमारे सभी उपाय व्यर्थ पड़ जाते है, परिश्रम धरे रह जाते है, ऐसी स्थिति में ही धनदा लक्ष्मी की साधना करनी चाहियेी इसमें अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी, क्योंकि पूज्य गुगु पथ प्दददद के ूप में आपके पास सदैव उपस्थित है, जैसे भी अपने अपने सौभाय जग जगाने का ।्य पsprechend ।्य पsprechend ।ा ।ा य्यया यzogen
'सामवेद की एक ऋचा में धनदा लक्ष्मी की आराधना करते हुऐ लिखा है जिस प्रकार कल्पवृक्ष समस्त इच्छाओं को पूरा करता है, आप भी उसी प्रकार हमारे जीवन की समस्त कामनाओं की पूर्ति करें।
'धनंजय संचय' में वर्णन है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में धन ऐश्वर्य व सम्पन्नता प्राप्त करना चाहता है, उसे चाहिये कि श्रेष्ठ गुरू के द्वारा अपने साधना कक्ष में पारद क्रियमाण शिवलिंग ईशान कोण में तथा भगवती धनदा लक्ष्मी की स्थापना अग्नि कोण में करनी चाहिये ।
'' पादेश्ववव कच्छप लक्ष्मी '' दीक्षा आत्मसात् कक क से कच्छप की भांति निβ गतिशील हते हते।। हुये धन वैभव वैभव क जीवन आगमन हता हत है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये धन धन धन धन धन धन धन धन धन क क जीवन आगमन हत हतika हत हत हत हत हतschieden हत हत assi हत हत assi हत XNUMX हते हते हत हत हत हत assi हत assicker पादेश्ववव कच्छप लक्ष्मी के से निम्न लाभ स्वतः प्रातः होने लगते- है-
आर्थिक बाधाएं दूर होती है, नवीन लाभ प्राप्त होते ते
Die Schwierigkeiten im Job verschwinden.
Wenn es beim Aufstieg ein Hindernis gibt, verschwindet es.
यदि व्यापार आयक आयक से सम्बन्धित कठिनाई हो वे वे कठिनाईयां दू होती है।।।। वे वे कठिन कठिनाईयां
Alle Freuden des Lebens werden empfangen.
Sie erlangen Respekt und Ruhm in der Gesellschaft.
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Abgesehen von den oben genannten Vorteilen
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Meditationsmethode
" अगरबत्ती व दीपक लगा लें। "
" पूजन सम्पन्न कक धनदा मणिमाला से निम्न मंत्र की पांच माला जप 11 दिन तक क क क क।।
इस प्रकार यह प्रयोग सम्पन्न होता है। वास्तव में यह मंत्र अत्यन्त महत्वपूर्ण है। " तीन दिवसीय साधना सम्पन्न कर दीक्षा प्राप्त करेरेर
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