ऐसी ही तो है मृगाक्षी रूप गर्विता। " " अपने. भूल जाती है कि वह कहां है, और कैसे है? तो. " " बाणों की संज्ञा क्योंकि मृगाक्षी की मादक खिलखिलाहट की उसमें गणना ही नहीं की गई है, जिससे मुनि जन अपना चिंतन छोड़ इस भ्रम में पड़ जाते है कि यह कोई नुपूर ध्वनि है अथवा किसी वाद्य यंत्र से निकला कोई संगीत का स्वर, कल्पना ही नहीं कर पाते, विश्वास ही नहीं होता कि ऐसा नाी स्व भी हो सकता है। " वक्षस्थल को मर्यादा में बांधने का असफल प्रयास करते स्वर्ण तारों से रचित आभूषण मण्डल——- जिसके शरीर से आती मादकता की ध्वनि इन नूपुरों के संगीत को भी अपनी परिभाषा भूल गया हो और निहार रहा हो मृगाक्षी के चेहरे को खुद अपने-आप को वहां खिला देखकर आश्चर्यचकित हो कर।
" " " " बन रहे थे चिकित्सा जगत के अद्वितीय आचार्य। कितने प्रकार की जड़ी-बूटियों, कितने प्रकार की भस्म, कितने प्रकार के लेप और सभी प्रकार के रस का प्रयोग करके देख चुके थे, लेकिन कोई नहीं सिद्ध हुआ उनकी आशाओं पर पूर्ण रूप से खरा उतरता हुआ और तभी उन्हें प्राप्त हुआ यह साधना सूत्र । " खिलेगी इस शरीर और मन में यौवन की तरंगे और सच भी तो है, बिना सौन्दर्य साक्षात् किये, बिना ऐसे सौन्दर्य को बांहों में भरे, फिर कहां से फट सकी है, इस जर्जर शरीर में यौवन की गुनगुनाहट और उल्लसित हो गये आचार्य धन्वन्तरी चिकित्सा शास्त्र की इस परिपूर्णता का रहस्य प्राप्त कर।
" " सच तो. " " एक साधारण सी अप्सरा साधना नहीं या सामान्य मृगाक्षी रूप अप्सरा साधना नहीं यह तो अप्सराओं में भी सर्वश्रेष्ठ, रूप का आधार, रूप गर्विता की उपाधि से विभूषित, एक नारी देह में घुला सौन्दर्य अपने रग-रग में बसा लेने की बात है। "
" Ebo कर लें दिशा बंधन नहीं है।
" इसका पूजन पुष्प पंखुडि़यों, अक्षत, एवं इत इत्र क क तथा निम्न मंत्र मृगाक्षी अप्सा सिद्धि माला से 108 बार उच्चाण क प प प प अ।।।। मंत मंतschieden मंतsal मंतsal मंत missbraucht घी का दीपक प्रज्जवलित रहे। यह 7 दिन की साधना है। "
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इस प्रकार यह जीवन की परिवर्तनकारी साधना सम्पन्न होती है और आधार बन जाती है आगामी साधनाओं की सफलता का क्योंकि जहां ऐसी श्रेष्ठ पुष्पदेहा का साहचर्य हो वहीं प्रेम की कोमलता है, फिर वहीं यौवन की चमकमी बिजली जैसी तीव्रता है और जो आधार है किसी भी साधना या विद्या को प्राप्त कर लेने का। जहां प्ेम का जागग होता है, वहीं अनन्त संभावनाओं के द्वार खुलते है।।।।। संभावनाओं "
जिनके मन में प्रेम पैदा होता है। " " ऐसा ही तो होता है, मृगाक्षी अप्सरा का सानिध्य और वह मृगाक्षी रूप अप्सरा दीक्षा व साधना सामग्री पाकर साधक स्वयं कान्तिमय व्यक्तित्व, आकर्षण, वशीकरण सम्मोहन, उत्साह, उमंग, प्रेम से आपूरित हो जाता है।
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