यह दिवस विजय. " ऐसा करने से सभी कामनाएं पूरी होती है। " " उनके बाद इन्द्र ने अनुष अनुष्ठान का पालन किया तथा कश्यप भी क क चुके चुके हैं।।।।। तथा कश्यप भी क चुके।। तथा कश्यप " अतः हे राजेन्द्र! रावण का वध करने के लिए आप भी यह अनुष्ठान करिये। " " अतएव हे महामते! "
" " " विजयदशमी को प्त्येक का nächsten उस दिन पure iel अब.
विजया दशमी के दिन अस्त्र, शस्त्र, व्यापािक बन्धु इस दिन अपने कलम कलम दवात की पूजा कβ, बालक अपनी पुस्तकों का पूजन कक स्त। अपने स स स सschieden क पूजन आभूषणों सािय अपने स स स सschieden व्ववogr. पूजा चाहे सूक्ष्म ूप से कक अथवा वृहद् ूप में, लेकिन विजया दशमी जैसे मुहू मुहू मुहू मुहू मुहू ककका चाहिए। शक्ति साधना अवश्य ही कका चाहिए।
" जिससे वह अभाव, असफलता, पराजय, रावणी रूपी आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त कर मर्यादा पुरूषोत्तम मय षोड़श कला युक्त चेतना से आप्लावित होता है, साथ ही भौतिक जीवन में सभी सुखों का पूर्णता से उपभोग कर पाता है और उसके जीवन में आनन्द, प्रसन्नता, वृद्धि का भाव बना रहता है।
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