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श्रावण का महीना भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है, शिव पुराण में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि श्रावण का पहला सोमवार योगी स्वरूप गृहस्थों के सौभाग्य का द्वार खट-खटाता है और जो इस द्वार को खोल देता है या दूसरे शब्दों में कहूं कि श्रावण महीने में विशिष्ट शिव साधना सम्पन्न कर लेता है, उसके कर्म में लिखा हुआ दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है, यदि उसके जीवन में दरिद्रता लिखी हुई भी है, तब भी भगवान शिव की पूजा, साधना उस दरिद्रता को मिटा कर सम्पन्नता देता है, यदि "
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" तो वहीं रूद्र स्वरूप में तांडव कर सृजन करते हैं॥ " ये अल्पायु को दीदी्घायु बनाते हैं, ोगी को निनि काया प्दान क क हैं।।।।। काया प्दान भगवान शिव अपने इन्हीं अपूβ गुणों गुणों के काण मृत्युंजय कहलाते हैं।।।।।। काण मृत्युंजय
" महामृत्युंजय शिव षड़भुजा धारी हैं, जिनके चार भुजाओं में अमृत कलश है अर्थात् वे अमृत से स्नान करते हैं, अमृत का ही पान करते हैं एवं अपने भक्तों को भी अमृत पान कराते हुये पूर्णता प्रदान करते हैं।
Form und Bedeutung des Mahamrityunjaya-Mantras:
Trayambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam.
उर्वारूकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीि
" " " पोषण एवं लक्ष्मी की अभिवृद्धि कक वाले शिव पुष्टिव्धनम हैं।।।। " "
einfache Methode
साधक नित्यकर्म के बाद, आचमन करें। " शशश शुद्धि कक संकल्प लें, तत्पश्चातत जप प्रार्थना ककक-
Mrityunjay Mahadev Trahimam Sharanamam.
Geburt, Tod, Alter, Opfer von Karma Bandhan:
" काल सम्बन्धी गणनायें ज्योतिष का आधार हैं तथा शिव स्वयं महाकाल हैं।। " " "
Verschiedene Vorteile des Mantra-Singens
Mantra: Om Hraun Jun Sah.
लाभः अशक्त अवस्था में इस मंत्र के जाप से ोगों का निवाण होता है औ्यक्ति हष्ट-पुष्ट बनता है।।
Mantra: Om und Jun Sah.
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मंत्रः ।। ॐ जूं सः पालय पालय सः जूं ॐ ।।
लाभः इस मंत्र जाप से असाध्य ोगों से शीघ्र निवृत्ति होती है।।।।। शीघ शीघ्र
Trimbak Mrityunjaya Mantra:
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लाभः यह मंत्र सुख-शांति, पुष्टि एवं अभिवृद्धि ऍधि
Zweites Trimbak Mrityunjaya Mantra:
।।ॐ त्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम पतिवेदनम् उउ्वाूकमिव बंधनादितो मुक्षीय मामृतः ।।
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Lom-Vilom Mrityunjaya Mantra: । Om Jun S: S: Laus Om.
लाभः अत्यन्त प्भभावशाली मंत्र मानसिक विकार, तनाव, क्ोध, बेचैनी एवं डिप्ेशन आदि के निवाण हेतु है है।।
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आम, गन्ना, मौसम्मी, संतसंत न नाियल आदि पफ़लों सों सों के मिश्ण से या अलग-अलग स से अभिषेक अभिषेक का विधान है।।। अभिषेक से भगवान शिव प्सनसनografen
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