Am 19. Oktober um 11:25 Uhr AM 20. Juni um 09:44 Uhr AM तक
इससे यह तो स्पष्ट ही है, कि सूर्य में अद्भुत शक्तियां निहित है और ग्रहण काल में सूर्य अपनी पूर्ण क्षमता से इन शक्तियों को, इन रश्मियों को विकीर्णित करता है, जिसे साधनात्मक प्रयोग द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, उतना कि जितना हमारे शरीर में क्षमता है।
जीवन में सब कुछ तो दुबारा भी प्राप्त किया जा सकता है, परन्तु क्षण जो बीत गया उसे दुबारा वापस नहीं लाया जा सकता, नक्षत्रों का जो संयोग, ग्रहण का जो प्रभाव जैसा इस बार बन रहा है, वह एक बार बीत गया तो दुबारा नहीं आ सकेगा। " " "
" जो हम चाहते हैं, क्योंकि ऐसे अद्वितीय गiment
" " वह केवल मानव शरीर धारी नहीं होता। उसमें ज्ञान होता है, चेतना होती है, उसकी कुण्डलिनी जाग्त होती है है उसका सहस्त्रार जाग्त होता है है है है।।।। सहसsprechung
कृष्ण को कृष्ण के रूप में याद नहीं किया जाता है। उनको गुरू क्यों कहा जाता है? " उनका प्राण तत्व जाग्रत हुआ।
आप कितनी साधना करेंगे? कितने मंत्र जपेंगे? कब तक जपेंगे? ज्यादा से ज्यादा साठ साल उम्र तक, सत्तर तक। " फिर वह जीवन अद्वितीय कैसे बन सकेगा? और अद्वितीय नहीं बना, तो फिर जीवन का अर्थ भी क्या क्या?
मैं आपको एक अद्वितीय साधना दे रहा हूँ, हजार साल बाद भी आप इस साधना को अन्यत्र प्राप्त नहीं कर पायेंगे, पुस्तकों से आपको प्राप्त नहीं हो पायेगी, गंगा के किनारे बैठ करके भी नहीं हो पायेगा, रोज-रोज गंगा में स्नान करने से भी नहीं प्राप्त हो पायेगा। "
साधना की प्रक्रिया उतनी कठिन या जटिल नहीं होत ी, महत्व तो क्षण विशेष का होता है, भारतीय ऋषियों ने काल ज्ञान और ज्योतिष पर इतने अधिक ग्रंथ लिखे Ja, das ist nicht alles ान होता है।
अवताों के जीवन मे भी ग्हण की महत्ता के प्संग देखने को मिलते हैं हैं।। " "
यही. ऐसे विशिष्ट संयोग सूसू्य ग्हण युक्त निखिल missbraucht "
जीवन में अद्वितीयता हो, यह जीवन का धर्म है। हमारे जैसा कोई दूसरा हो ही नहीं। ऐसा हो, तब जीवन का अर्थ है। " "
लेकिन आपके पास कोई कसौटी नहीं है, कोई मापदण्ड ऀ " यदि आपको.
यदि व्यक्ति में जरा भी समझदारी है, यदि उसमें सम झदारी का एक कण भी है, तो पहले उसे यह चिन्तन करना चाहिये जो उसे तेजस्विता युक्त बना सकें, जो उसे प्राण तत्व में ले जा सुगन्ध युक्त बना सके।
" फिर वह क्षण कब आयेगा, जब आप दैदीप्यमान बन सकेंगे? कब.
" में उतार देना।
” शरीर में उनका स्थापन होते ही उनकी चेतना के मा ध्यम से यह शरीर अपने आप में सुगन्ध युक्त, अत्यन् त दैदीप्यमान और तेजस्वी बन सकेगा, जीवन में अद्व ितीयता और श्रेष्ठता प्राप्त हो सकेगी, जीवन में पूर्णता आ सकेगी, प्राण तत्व की यात्र सम्भव हो सक Ja उनका ज्ञान आपके अन्दर उतर सकेगा।
" ऐसा होना साधनात्मक दृष्टि से पूपू्ण विजय सिद्ध मुहूमुहू्त होता है।। " "
" " " घी का दीपक लगाये।
"
"
21
यह मंत्र अपने आप में अत्यन्त चैतन्य मंत्र है। "
"
Es ist obligatorisch zu erhalten Guru Diksha von Revered Gurudev, bevor er Sadhana ausführt oder einen anderen Diksha nimmt. Kontaktieren Sie bitte Kailash Siddhashram, Jodhpur bis E-Mail , Whatsapp, Telefon or Anfrage abschicken um geweihtes und Mantra-geheiligtes Sadhana-Material und weitere Anleitung zu erhalten,