राम नवमी 30 मार्च
पुरूषोत्तममय श्रीराम सर्व विजय प्राप्ति
अपराजिता शक्ति दीक्षा
" " " " हह कार्य आप प हावी हो जाता है, घ के वाताव एवं कार्यालय की बातों से आपको तनाव हो जाता है।।।।। ब ब से आपको तनाव हो जाता है।।।। ब बातों से तनात है है।।।।।। ब ब से तन तनाता है।।।।।।।। ब ब। जाता है।।।।।।।।।।।।।।।।।। बातों आपको तनाता है।।।। बातों
जीवन में. , प्रसन्न रह सके, आनन्दित रह सके और इसके लिये आवश्यक है कि वह मनश्चेतना के स्तर पर काफी ऊपर उठा हुआ व्यक्ति हो, तभी वह जीवन का आनन्द प्राप्त कर सकता है, अन्यथा सकल सम्पदा होते हुये भी सब व्यर्थ है।
" अपराजिता अर्थात कभी पराजित नहीं होना, अतः देवी अपराजिता की कृपा से ही व्यक्ति के जटिल-से-जटिल कार्य पूर्ण रूप से सम्पन्न कर पाता है और यह दैवीक कृपा आत्मसात करने के लिये भगवान श्रीराम समान व्यक्तित्व होना अति आवश्यक है, क्योंकि सत्य तो यह "
" देवी अपराजिता की आराधना से व्यक्ति अपनी निर्बलता को समाप्त कर मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की तेजस्विता से युक्त सभी कर्त्तव्यों को हर्ष-उल्लास, प्रसन्नता व आनन्द से पूर्ण करने में सफल होता है और साथ ही विपरित परिस्थितियों को अनुकूल निर्मित कर पाता है। " "
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