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सामान्य सांसािक गतिविधियों के काण, उत्पन्न वैचािक मतभेद के काण पति-पत्नी के्य ऊबाउ, नीβ नी नी व क का विसार हता है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। wider जिससे स्थितियां बड़ी दुरूह बन जाती हैं। " से घिर जाता है। पति-पत्नी का सम्बन्ध भौतिक सुखों पर आधारित हो ा य रसना और वासना सम्बन्धी सुख करना मानो युग धर्म बय " पति-पत्नी का सम्बन्ध पवित्र, श्रद्धा, विश्वास, सहयोग एवं सम्मान पर आधारित होता है, लेकिन वर्तमान में पति-पत्नी में श्रद्धा, विश्वास, समर्पण एवं सम्मान के बदले स्वार्थ तथा अहंकार की भावना काम करने लगी है। "
उक्त सभी नकारतunder सौभाग्यशक्ति का तात्पर्य यही है कि जो भी पति-पत्नी के बीच मतभेद और असामंजस्य की स्थितियां हैं, वह समाप्त होकर पूर्ण एकात्मक भाव से सम्बन्ध स्थापित हो सके और गृहस्थ जीवन सभी सुखों आत्मिक प्रेम, एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान, अपनत्व की भावना , त्याग, सहनशीलता, धैधै्य, सौम्यता, सौन्द्य से आपूआपू हो हो।।।।।।
गृहस्थ सुख सौभाग्य सौन्दय्य दीक्षा से गृहस्थ जीवन सभी सुमनोक सुमनोकामनायें पूपू्ण होती औ यह गृहस गृहस्थ जीवन के मजबूत नींव नि नि नि नि नि नि के स ही दी दी दी दी दी दी दी दी दी घ घ जीवन पogr. जीवनogr. जीवनsprechend जीवनsprechend जीवनsprechend " इस दीक्षा के माध्यम से सदा सन्मा nächsten
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