" शिव से भिन्न कुछ नहीं है। " " " संसार के समस्त मंत्र भगवान शिव के डमरू 'निनाद' से ही निकले हैं और उन्हीं शिव मंत्रें को गुरू (जिन्हें शास्त्रें में शिव का ही रूप कहा गया है) द्वारा प्राप्त कर साधना सम्पन्न की जाये तो सफलता मिलने में कोई संशय नहीं होगा।
" पू? उन दिवसों पर यदि साधना सम्पन्न की जाये तो फल मिल तो फल मिल महाशिवरात्रि का दिवस भगवान शिव का सिद्धि दिवस हह
" " इन. इस बार शिव कल्प दिनांक 16 से लेकर 02 " प्रदोष भी भगवान शिव का प्रिय दिवस है।
" " प्ततografen इस 'नमः शिवाय' मंत्र में ही भगवान शिव के स्वरूप सदाशिव, शिव, अर्द्धनारीश्वर, शंकर, गौरीपति, महामेहश्वर, अम्बिकेश्वर, पंचानन्द, महाकाल, नीलकण्ठ, पशुपति, दक्षिणामूर्ति, महामृत्युंजय का सार निहीत है। ऐसे भगवान शिव जो कि शीघ्र प्स होने वाले औ देवों के देव आदि देव हैं।। उन महादेव की वन्दना तो ब्रह्मा, विष्णु भी करते है ही उनकी वन्दना में यह प्रार्थना श्लोक उनके पूपू स्वव को स्पष्ट का त है।।।।।। स स्पष्ट
भगवान! आप सुव्रत और अनन्त तेजोमय हैं, आपको नमस्कार है। आप क्षेत्धिपति तथा विश्व के बीज-स्वव औऔ शूलधाी हैं, आपको नमस्कार है।।। आप हम सभी. आप विद्या के आदि कारण और स्वामी हैं, आपको नमस्क ाॹ आप व्रतों एवं मंत्रे के स्वामी हैं, आपको नमस्क ार आप अप्रेममय तत्व हैं। आप हमारे लिये सर्वत्र कल्याणकारक हों। "
" " इनसे भगवान शिव का वरदान तो निरन्तर प्राप्तऀ एक-एक क क इन सभी स साधनाओं को सम्पन्न क जिससे शिव ूपी ूपी गु गु गु औ औऔ गु गु ूपी आपके जीवन में नि निनि्तत आशीआशीsal व्दान हेंक हेंक हेंक-
" " इसके लिए यह लघु प्रयोग सम्पन्न करना उचित है। साधक 'विश्वेश्वर' को प्राप्त कर उसका पूजन चंदन अक्षत से कर निम्न मंत्र का 101 बार जप करें, तथा दूसरे दिन उसे विसर्जित करे तो उसे विभिन्न रूपों में आकस्मिक धन की प्राप्ति जीवन में निरन्तर होती ही रहती है-
" "
" "
"
" ऐसी स्थिति में जब व्यक्ति के पास जन्मकुण्डली न हो तो उसके लिए यह प्योग सम्पन्न कका अत्यधिक श्ेयस्क होता है।। "
प्रायः व्यक्ति किसी श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने के पश्चात् जब अपने यौवन काल में नौकरी या व्यापार को संभालने की स्थिति में आता है तब तक वह विविध कारणों से जिसमें पितृ दोष आदि सम्मिलित होते हैं, पूर्व की स्थिति को खो बैठता है तथा आर्थिक व सामाजिक रूप से अवनति की ओर अग्रसर होने लग जाता है। यह मन को मथ कर रख देने वाली स्थिति होती है। इसकी समाप्ति के लिए साधना का अवलम्बन लेना ही चाह "
"
" " मिलने लग जाती है।
महाशिवरात्रि की रात्रि में दस बजे किसी ताम्रपात्र में 'शण्ड' को रख कर उस पात्र को काले वस्त्र पर स्थापित कर, निम्न मंत्र का 91 बार मंत्र जप करने के पश्चात् उसी काले वस्त्र में बांध कर घर अथवा व्यापार स्थल पर रखें-
एक माह पश्चात् शण्ड को नदी में प्रवाहित कर दें ।
जीवन के विविध सुख जीवन विविध अवस्थाओं के साथ ही जुड़े होते हैं।।। " " " इस महाशिवरात्रि के पर्व पर पूरे दिवस कभी भी (दिन में दस बजे से दो बजे के मध्य छोड़कर) श्वेत वस्त्र के ऊपर ताम्रपात्र में 'मृड' स्थापित कर उसके समक्ष निम्न मंत्र का 51 बार जप करने से इस अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति संभव होती है ।
अगले दिन मृड कुछ दक्षिणा के साथ शिव मंदि में चढ़ा दें।।।
भगवान शिव की अर्द्धागिनी, उनकी मूलभूत शक्ति, जगत जननी माँ पार्वती का एक स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है, जो अपनी समस्त संतानों के पोषण के साथ-साथ निरन्तर उनके हित चिंतन में भी तल्लीन रहती है, किन्तु भगवती अन्नपूर्णा की आराधना-साधना तब तक अधूरी ही है, जब तक उसमें शिवतत्व की समायुक्ति नहि नहि " घ धन-धान्य से भ भ भ हो हो सके सके क पुण पुण क सत Entwickelt हो सके सके ती ती ती पक पक पक पक पक पक पक पकchte पक पक पक पक पकchte पकान तीsal ती पकपogr. कीप्षों कीप्षों कीsal सके सकेsprechend तीsal ती तीsprechend ती तीप्षों पू की विध Entwickelt
"
"
Es ist obligatorisch zu erhalten Guru Diksha von Revered Gurudev, bevor er Sadhana ausführt oder einen anderen Diksha nimmt. Kontaktieren Sie bitte Kailash Siddhashram, Jodhpur bis E-Mail , Whatsapp, Telefon or Anfrage abschicken um geweihtes und Mantra-geheiligtes Sadhana-Material und weitere Anleitung zu erhalten,