भगवान विष्णु नारायण जो शैय शैय्या पा जमान है म माता लक्ष्मी सेवा स्व में विद्यमान है।।।। सेवा स्व में विद्यमान है। " साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जातक के राहु, शनि, मंगल, केतु भाव की तामसिकता न्यून होती है व काल सर्प रूपी कुस्थितियो का पूर्णता से शमन होता है व दीक्षा आत्मसात् करने से देव स्वरूप पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे सहस्त्र लक्ष्मी युक्त योग-भोग सुखों की वृद्धि होती है।
" व्यक्ति में जहां एक ओर पुरूषोत्तम की असीम आत्मिक ऊर्जा, साहस, संयम, धैर्य होना चाहिये, वहीं उसके जीवन में लक्ष्मी तत्व के रूप में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, धर्म, यश, सौभाग्य, अर्थ, आरोग्यता आदि का भी समावेश होना ही चाहिये । इसी हेतु सद्गुरूदेव कैलाश श्रीमाली जी उक्त महापर्व पर प्रत्येक साधक के लिये श्री विष्णु स्वरूप शालीग्राम जी का पंचोपचार पूजन, अभिषेक व विष्णु सहस्त्रनाम की चेतना से ''श्री विष्णु-हरी काल-कर्षिणी दीक्षा साधना'' प्रदान करेंगे जिससे साधक काल रूपी कुस्थितियो पर "
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