" " " व्यक्ति के चिंतन का योग शनि के द्वारा ही बनता हैी
अतः दुदु्घटना, मृत्यु, आकस्मिक घटना का विवेचन भी ग ग्ह से किया जाता है।।। " विंशोतविंशोत महादशा के अनुसार साे ग्हों की दशायें कुल कुल 19 व~ की कीानी गई है।।।। " इसमें भी प्त्येक महादशा में इन्हीं नवगiment
हमारे जीवन की समस्याओं का ग्रहों से सीधा सम्बन्ध होता है, आपसी स्नेह में कमी, रोगों में वृद्धि, मानसिक अशांति, क्रोध, हिंसा का भाव इत्यादि क्रियाये हमारे जीवन के अंग बन चुके हैं, इसका कारण यही है कि हमने ग्रहों के प्रभाव की अपेक्षा की है। पल-पल जिन ग्हों का प्भाव जीवन घटनाओं प प, मन, विचाों भावों प पड़ता है, उसे छोड़ना किसी त त त से हित में है है।।।।।।। छोड़न छोड़न किसी भी त हित नहीं है।।।।।। छोड़न छोड़न छोड़न किसी त से नहीं है।।।।।। छोड़न छोड़न किसी भी त हित नहीं है।।। छोड़न छोड़ना भी त हित नहीं है।।। छोड़न छोड़ना भी त हित नहीं है।। छोड़न छोड़ना भी त हित नहीं है।। छोड़ना किसी त त त नहीं है।. " मनुष्य जीवन में सबसे अधिक दुष्प्रभाव मंगल, शनि, राहु का होता है, जो सर्वाधिक पीड़ा, कष्ट उत्पन्न करते है, ऐसा भी नहीं है कि ये ग्रह केवल कष्ट ही प्रदान करते है, कहने का तात्पर्य यह है कि इनकी प्रतिकूलता अधिक ह्रास, कष्टदायी , अधोगति व को भौतिक-आध्यात्मिक शाीी-मानसिक ूप से हानि पहुँचाती है।। "
इस अशुभ प्रभाव को दूर करने के अनेकों उपाय हमारे ऋषियों द्वारा बताये गये है, जिनके द्वारा शनि ग्रह के विनाशक प्रभाव को नष्ट किया जा सकता है, साथ ही साथ इस ग्रह को पूर्णतः अनुकूल एवं शुभ प्रभावयुक्त बनाया जा सकता है। शनि ग्रह सदैव वक्र गति से चलता है। इसका प्भभाव अत्यन्त महत्वपू्ण होता है, शनि तीव तीव्र ग्ह माना गया है, क्योंकि यह तामस स्वभाव वाला ग्ह है।।।।।। सामस स्वभाव वा गsprechung " " शनि. "
" इसीलिये कहा जाता है कि यदि शनि अनूकूल तो ंक ंक भी र र र र बना देता है। शनि.
Sadhana Vidhaan
" स्नान कर काले रंग के वस्त्र धारण करें। गुरू पीताम्बर ओढ़ कर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बजय बईा पंचोपचार गुरू पूजन सम्पन्न कर 10 माला गुरू मंत्र जप करें, साधना में सफलता के लिये गुरूदेव से प्रार्थना करे और अपने सामने भूमि पर काजल से त्रिभुज बनायें और उस पर ताम्र पत्र रखें ताम्र पात्र पर काजल से ही अष्टदल कमल बनाये और उस पर 'शनि यंत्र' स्थापित करें। "
Handpositionierung-
शsprechend
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-: Herztag :-
श्नैश्चराय हृदयाय नमः मन्दगतये शिरसे स्वाहा ।
Vashat zum Wappen von Akshaja. Vaushatha zu den drei Augen des trockenen Magens.
Chhayaatmajaya Astraya Phat.
"
कोणस्थः पिंगलो वभ्रुः कृष्णों रोद्रान्तको य मः
Saturn im Sonnensystem ist langsam und wird vom Feigenbaum gepriesen
Derjenige, der morgens aufsteht und diese zehn Namen rezitiert.
Der durch Saturn verursachte Schmerz wird niemals auftreten.
इसके पश्चात् हाथ में जल लेक संकल्प कक तथा 'शनि वशीक म माला' से निम्न मंत्र की 5 माला जप कक क क क क क क क।।।। निम्न मंत्र XNUMX
अब हाथ जोड़कर श्रद्धापूर्वक निम्न वन्दना करे ।
नीलद्युतिं शूलधरं किरीटिनं, त्रसकरं धनुर्द्धर्र्
चतुचतु्भुजं सूसू्यसुतं प्शान्तं, वन्दे सदाऽभीष्टक ववव्यम् ।।
साधना समाप्ति के बाद यंत्र तथा माला को उसी स्थान पर रहने दीजिये तथा अगले दिन सायं काल यंत्र के सम्मुख हाथ जोड़कर पुनः उपरोक्त श्लोक का उच्चारण करें तथा 'ऊँ शं ऊँ' मंत्र बोलते हुय यंत्र व माला को किसी काले वस्त्र में लपेट कर वस्त्र सहित किसी मंदिर में अर्पित करें।
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