" " " व दस महाविद्या स्वरूप सद्गुरू की चेतना होती है।
In unserem Leben gibt es einen ständigen Konflikt in Form von Konflikten und Zweifeln. Navratri gibt uns die Möglichkeit, uns vollständig von negativen Situationen zu befreien, sodass wir aufwachen und uns mit Adya Shakti vereinen. कलीयुग. " ऐसे समय.
" " हमारे पास शस्त्र रूपी संकल्प, संस्कार व ज्ञान ही ये विचार संस्कार और ज्ञान से निर्मित होते है और जब जीवन में विनाशकारी विचारों को नष्ट करने की भावना आ जाती है, तो आद्या शक्ति स्वयं हमारे भीतर प्रवेश करती है, जिससे हम पुनः आंतरिक और बाह्य रूप से दिव्य भावों को आत्मसात् कर पाते है।
Das Leben jedes Menschen ist mehrdimensional. इस जीवन ही विभिन विभिन्न पiment जहाँ जीवन में सुख है तो दुःख भी है में पीड़ा है आनन आनन्द भी है।। " "
शक्ति का तात्पर्य केवल बल ही नहीं है वरन् शक्ति एक भाव है जो आपके सामर्थ्य को प्रकट करता है, जिस प्रकार चन्द्रमा का सम्बन्ध चांदनी से है, दीपक का सम्बन्ध प्रकाश से है, यदि दीपक नहीं तो प्रकाश नहीं, इसी प्रकार शक्ति नहीं तो क्रियायें भी नहीं, अतः यदि श्ेष्ठता को आत्मसात् कका है तो शक्ति की आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ तो क ही पडे़गी।।।।।।।।। शक शक शक शक्ति की आ आ आ आ आ शक शक।।।।।।।। शक शक शक शक शक शक शक शक शक शक शक शकschieden
जो दुर्बल है उसका जीवन तो व्यर्थ है, जो अपने सामर्थ्य से शक्ति आराधना करता है उसका घर धन-धान्य, पुत्र, स्त्री, लक्ष्मी से कभी रिक्त नहीं हो सकता इसी प्रकार शक्ति तो सबल के घर पराक्रम रूप में, विद्वानो के हृदय में बुद्धि " इसकी साधना-आराधना से ही जाग्रत किया जा सकता है।
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Tripura Sundari Sadhana
जो व्यक्ति अपने जीवन मे त्रिपुर सुन्दरी की साधना कर उनकी कृपा प्राप्त कर पाता है वह व्यक्ति अपने जीवन में सर्व विजयश्री से युक्त होता है, क्योंकि यह शक्ति शिव स्वरूप में इच्छा, ज्ञान, क्रिया तीनों स्वरूपों को पूर्णता प्रदान करने वाली है। अक्सर ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। "
त्रिपुर सुन्दरी की साधना, जो कि श्री विद्या की भी साधना है, स्पष्टतः जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित होकर यह साधना सम्पन्न करता है, उसे शारीरिक, मानसिक रोग, और भय नहीं रहता है, वह दरिद्रता व मृत्यु रूपी स्थितियों का संहार करता है। "
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। " काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण कामदेव अनंग शक्ति प्राप्त करता है, धन व विद्या की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण धनी व विद्वानमय श्रेष्ठता से युक्त होता है।
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Sadhana Vidhaan
प्रातः काल स्नान कfluss "
बालार्कद्युतितेजसं त्रिनयनां रक्ताम्बसोल्लंििििििि
Baloduratshekharam mit einem königlichen menschlichen Körper mit verschiedenen Ornamenten.
हस्तैरिक्षुधनुः सृणिं सुमशरं पाशं मुदा विभ्ऀंं
श्री चक्रस्थित सुन्दरी त्रिजतामाधारभूतांस्म
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" नवनवात्ि की पूपू्णता के बाद सम्पूपू्ण सामग्ी को किसी मंदि य या गुगु चच में अ अ अ अअ्पित ककक।।।।।। गु गुगु च च अ कक।।। य य य।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ।chte
Yakshini Sadhana
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" तिब्बत के लामा प्रख्यात तांत्रिक एवं सिद्ध साधक हुये, उसके मूल में यही यक्षिणी साधना ही है, क्योंकि तिब्बत मे लामा संप्रदाय के अन्तर्गत 'तंत्र दीक्षा' केवल मात्र यक्षिणीयों से ही प्राप्त होती थी तथा उनके सहचर्य में रहकर ही कोई साधक तंत्र की साधनायें सम्पन्न कर सकता था।
यक्षिणी साधना को प्रचलित रूप से अलग हटकर समझने से साधक अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर सकता है, और जीवन के दोनों पक्ष अर्थात् योग व भोग एक साथ प्राप्त कर पाने का अधिकारी बन जाता है, क्योंकि तभी उसके अन्दर उस तंत्रमयता का उद्भव होता " जो दुर्गा सप्तशती जैसे प्रतिष्ठित ग्रंथ में मित
पार्वती ने भगवान शिव से निवेदन किया कि देवताओं के लिये तो सभी प्रकार के सुख स्वर्ग में उपलब्ध हैं अप्सरायें उनकी सेवा में रहती हैं, देवताओं का यौवन हर समय अक्षुण्ण रहता है तथा समस्त इच्छायें पूर्ण होती हैं, लेकिन पृथ्वी पर रहने वाले सभी मनुष्यों की " "
Meditationsmethode
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Lalitamba Sadhana
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नवनवात्ि में की गयी साधना पूजा से पूपू वव्ष साधक का जीवन प्काशित, ऊऊ्जाव। हता है है।।। इन्ही स्थितियों से लक्ष्मीवान की चेतनाओं से आपूआपू होता है।।।।। साथ ही यश, प्सिद्धि, उन्नति, कामना पूपू्ति की प्राप्ति सम्भव हो पाती है।।।।। पsprechend यह सौभाग्य, सुन्ददा, श्ेष्ठ गृहस्थ जीवन प्दान कक की कीाविद्या है।।। भगवती ललिताम्बा लक्ष्मी भोग, यश, सम्मान की अधिष्ठात्ी देवी है।।। " " " "
ललिताम्बा साधना मस्तक प पड़ी पड़ी दुदु्भाग्य की लकी को को मिटा देने का स्वश्ेष्ठ उपाय है, जिसे सम्पन्न कक ंक भी कीा की उप उप पschiedenes पापपogr. प प पschiedenes पापपogr. प प पschiedenes पापपogr. क प पschiedenes प्त्तzogen इस महत्वपूवपू्ण साधना को सम्पन्न कक के पश्चात् लक्ष्मी का आगमन स्थायी ूप से साधक के जीवन में होत होत ही है है।।।।। से साधक इस साधना के प्भाव से शीघ्र ही धनागमन के-नये स्त्ोत खुलते है, व्यापार में वृद्धि होने लगती है है।।।।।।। व व्यापार ललिताम्बा साधनधन से व्यक्ति के के समस्त पूाव जन्मकृत पाप दोषों का नाश होकहोक्यक्ति सौभाग्यता से युक्त होता है।।।।।।। सौभागsprechung
Meditationsmethode
नवरात्रि के किसी भी दिवस पर रात्रिकाल में स्नानादि से निवृत होकर शुद्ध धुले हुये लाल वस्त्र धारण कर पूजा स्थान में उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह कर लाल आसन पर बैठ जाये, अपने सामने बाजोट पर लाल या श्वेत वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर किसी तांबे या "
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साधना समाप्ति के बाद नवात्ि काल में निम्न मंत्र का बार उच्चाण कक हे हे हे।। ।ार साधना सामग्री को हनुमान जयन्ती चैत्रीय पूर्णिमा 11 अप्रेल को लाल कपडे़ में बांध कर किसी मन्दिर या गुरू चरणों में अर्पित करे।
Es ist obligatorisch zu erhalten Guru Diksha von Revered Gurudev, bevor er Sadhana ausführt oder einen anderen Diksha nimmt. Kontaktieren Sie bitte Kailash Siddhashram, Jodhpur bis E-Mail , Whatsapp, Telefon or Anfrage abschicken um geweihtes und Mantra-geheiligtes Sadhana-Material und weitere Anleitung zu erhalten,