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माघ माह को हिन्दू धध्म ग्न्थों में पवित पवित्र औऔ पुण्यकाी माना गया है।। " मान्यता है कि दिन गंग गंगा का जल हो जाता है औ संगम स स्थानों प-देवताओं का वास होता है है। इसलिये इस दिन पर गंगा स्नान की बड़ी महत्ता है। " इस दिन किसी कारण से तीर्थ संगम में स्नान के लिये ना जा सके तो अपने निकट पवित्र नदी, सरोवर अथवा अपने घर में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिये, क्योंकि शास्त्र के अनुसार इस दिन सभी नदी, सरोवर गंगा स्नान के समान पुण्यकारी होते हैं ।
साथ ही त्रि-शक्ति की पूजा की जाती है। गंगा जो कि शिव की जटा से आलोकित है। जो कि महालक्ष्मी स्वरूपा है। चन्द्रमा शीतलता का प्रतीक है। " "
माता महालक्ष्मी के अनेक ूप ूप है में से उनके आठ सlt स जिन को अष्टलक्ष्मी कहते है।।।।।।। को अष missbraucht लक्ष्मी का अभिषेक दो हाथी करते हैं। वह कमल पर विराजमान रहती है। कमल कोमलता का प्रतीक है। लक्ष्मी के एक मुख चार हाथ हैं। " दो हाथों में कमल सौन्दर्य और प्रामाणिकता के प्कैके प्र " वाहन उलूक निsal
माता महालक्ष्मी कोमलता औसुंद सुंदसुंदा सुव्यवस्था में ही सन्निहित हती है।।।।।। कला भी इसी सद् प्रवृति को कहते हैं। लक्ष्मी का एक नाम कमला भी है को संक्षेप में कला कहते हैं।। " उपार्जन अभिवाधन में कुशल होना श्ी तत्त्व के अनुग्ह का पूवार्ध है।। " एक-एक पैसे को सद्उद्देश्य के लिये ही खर्च किया जी
" उनका लक्ष्मी के साथ अविच्छिन्न संबंध है। " "
गायत्ी के तत्त्वद्शन एवं साधना क्म की एक धारा लक्ष्मी है।।। " उसके अतिरिक्त गायत्री उपासना की धारा श्री साा नी " जिनके चुम्बकत्त्व से खिचंता हुआ धन उपयुक उपयुक्त मात्र में ही एकत एकत्ित होता हता है।।। "
लक्ष्मी प्रसन्नता की, उल्लास की, विनोद की देवी ही वह जहाँ रहेगी हँसने, हँसाने का वातावरण बना रहेगा अस्वच्छता भी दरिद्रता है। सौन्दद्य एवं स्वच्छता एवं कलात्मक सज्जा का ही दूसा नाम लक्ष्मी है।।। लक्ष्मी सौन्दर्य की देवी है। उसी से स्वच्छता एवं्सन्नता एवं्यवस्था श्मनिष्ठा एवं मितव्ययिता का वाताव बना हेगा।।
इस साधना को 11. प्रातः काल स्नान जल में थोड़ा गंगाजल मिश्रित कर गंगा, यमुना व सरस्वती देवमय शक्ति नदियों का आवाहन व चिंतन करते हुये स्नान करें, तत् पश्चात् शुद्ध वस्त्र धारण कर अपने पूजा स्थान में पूर्व दिशा की ओर मुंह कर बैठ जायें।
अपने सामने बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर कुंकुम से ऊँ अंकित करें अब ऊँ के ऊपर त्रि-शक्ति यंत्र स्थापित कर दें, यह त्रि-शक्ति यंत्र ब्रह्माण्ड के तीनों महा-शक्ति जिससे सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन होता है, यही तीन शक्तियां ब्रह्मा, विष्णु, महेश, महागौगौ, महालक्ष्मी, महासस्वती, गंगा, यमुना ससस्वती, क्िया, ज्ञान, इच्छा औऔ सत्, ज तम स्वव विद्यमान है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।। सत सत सत सत सत।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। सत सत सत सत सतogen संसार की क क्ियायें तीनों महाशक्तियों के से से संचालित हैं।।।।।
" लक्ष्मी प्राप्ति माला स्थापित क सभी सामग्ी का पंचोपचार पूजन क जीवन अवि अवि ूप से गंगा स्व में गतिशील हें हें।।।। ूप से गंगा स्व में गतिशील हें हें।।।। ूप ूप से गंगा स्व में हें हें हें।।।।।।। ूप से गंगा स्व में गतिशील हें हें।।।।।।।।।।। सा स्व में गतिशील हें हें।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। ूप गंगा सार में गतिशील हें।।। ूप गंगा सा स्व में गतिशील हें हें इस.
साधना समाप्ति के बाद सम्पू्ण सामग्ी को किसी पवित्र जलाशय में प्वाहित कक।।
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