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" महाभारत काल में जब अर्जुन को युद्ध में विजय प्राप्त करने की इच्छा हुई तो भगवान श्री कृष्ण ने उसे यही सलाह दी, कि बिना दिव्य अस्त्रों के युद्ध में विजय प्राप्त करना असंभव है, इसलिये यह जरूरी है कि पहले तुम शिव और इन्द्र की आराधना करो , उनसे दैविक अस्त्र प्राप्त कक औऔ ऐसा होने प ही तुम जीवन के प्त्येक क्षेत्र में पूपू्ण सफलता प्र्त क सकते हो हो।।।।।।। सफलता प्रgegen
हम जीवन में. हमारे पास दैविक शक्ति होनी चाहिये, यदि हम दैविक शक्ति को प्राप्त कर लेते हैं तो सफलता पाना ज्यादा अनुकूल और ज्यादा सुविधाजनक हो जाता है, और ऐसा करने पर ही सम्पूर्ण जीवन में जगमगाहट प्राप्त हो सकती है।
" कर पूर्णता प्राप्त करके ही रहुंगा।
" उसके जीवन का लक्ष्य होता है, जो जीवन का उद्देशऍय ाायय
" " " प्तिष्ठा औfluss
जैन धर्म मूलतः अहिंसा, शान्ति, प्रेम, सदाचार और अध्यात्म ज्ञान का प्रेरक धर्म रहा है, परन्तु इसके उपरान्त भी पद्मावती साधना के महत्व को जैन मुनियों ने मुक्त कण्ठ से स्वीकार किया है और इसके बारे में कहा है कि पद्मावती साधना तो अत्यन्त उच्चकोटि की "
" इस प्रकार जैन धर्म में चौबीस तीर्थंकर को प्रमुख पद दिया गया है, जिनकी वाणी में पद्मावती साधना को धन की अधिष्ठात्री देवी माना गया है जो साधक पूर्ण मनोभाव से पद्मावती साधना करता है वह कभी अर्थ से वंचित नहीं रह सकता, इसी साधना के माध्यम से व्यक्ति जीवन में उच्चतम शिखर पर पहुंच सकता है।
भाद्रपद शुक्ल एकादशी को पद्मावती जयन्ति है। पद्मावती का तात्पय्य है विष्णु की शक्ति लक्ष्मी, यह दिवस पद्मावती सिद्धि दिवस पप्व भी कहा जाता है।। " वह नर श्रेष्ठ बन कर यशस्वी एवं कीर्तिवान बनता ही
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शुक्ल पक्ष की एकादशी पद्मावती जयन्ती की रात्रि में साधक स्नान कर पीली धोती पहन कर पीले आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर अपने सामने पद्मावती स्वरूप श्री यंत्र स्थापित करें और इसके तीनों ओर त्रिकोण रूप में भृंगी, काली, कराली को सुपारी रूप में स्थापित कर दें। ये भगवती पद्मावती की त्रिशक्ति का स्वरूप हैं। "
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ॐ श्ीमद्गीगी्वाण चक्र स्फुट मुकुट दिव्यमाण्क माला।
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व्याघ्ोो्का सहस्त्ं ज्वलदनलशिखा लीलपाशां कुशाढ्ये।
आं क्रां ह्ीं मंत्र क्षपितकलिमले क्ष मां देवि पद्मे ।।
इसके बाद भगवती पद्मावती माला से निम्न बीज मंत्र की 3 माला दिन तक जप क क क क।।।
" साधना सामप्ति के बाद सामग्ी को किसी तालाब या नदी में विसविस्जित क क दें।।।
आकस्मिक धन व्यापार वृद्धि जैन तंत्र साधना व्यापार वृद्धि, बिक्ी बढ़ाने औβ निनिन्त धन लक्ष की आकस्मिक ूप पspreches प हेतु लक लक स स स स सystanten "
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ज्ञानेव सिन्धुं बiment
देवीं प्रपन्नार्ति हरे प्रसीद, प्रसीद, प्रसीद, ि
इसके बाद व्यापार वृद्धि माला से निम्न मंत्र की 3 माला 3 दिन तक सम्पन्न कक।।
साधना समाप्ति के बाद सभी सामग्ी को किसी में में विसविस्जित क दे।।। किसी नदी नदी नदी में में में विस स दे।।
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